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पानीपत का प्रथम युद्ध सन 1526 ईस्वी में लड़ा गया। यह युद्ध भारतीय इतिहास का वह महत्वपूर्ण मोड़ था जिसने दिल्ली की पुरानी सल्तनत को समाप्त कर दिया और भारत में मुगल शासन की शुरुआत की। इस निर्णायक युद्ध में मिली जीत ने बाबर को उत्तर भारत का प्रमुख शासक बना दिया, जिससे आने वाले सैकड़ों वर्षों तक इतिहास की दिशा बदल गई।
इस लेख में हम इस युद्ध के मुख्य कारणों, परिणामों और इसके व्यापक ऐतिहासिक महत्व कोआसान शब्दों में समझने का प्रयास करेंगे।

प्रस्तावना
पानीपत का प्रथम युद्ध भारतीय इतिहास के निर्णायक युद्धों में से एक है। इस युद्ध के परिणामस्वरूप दिल्ली सल्तनत की समाप्ति हुई एवं भारत मे मुगल वंश की स्थापना हुई। बाबर ने भारत की राजनीतिक स्थिति की जानकारी प्राप्त करने के लिये 1526 ई0 तक भारत पर पांच आक्रमण किये जिनका उल्लेख वह “बाबारनामा” में करता है। इन पांच आक्रमणो के द्वारा बाबर ने भारत की राजनीतिक स्थिति का अच्छी प्रकार से आकलन करने के बाद अब अपना लक्ष्य भारत विजय का बनाया। इस प्रकार भारत विजय के क्रम में बाबर का मुकाबला दिल्ली के शासक इब्राहिम लोदी से 1526 ई0 में हुआ जो पानीपत के युद्ध के नाम से जाना गया।
पानीपत का प्रथम युद्ध: संक्षिप्त विवरण
बाबर की भारत विजय की शुरुआत
यह युद्ध सम्भवतः बाबर की महत्वाकांक्षी योजनाओं की अभिव्यक्ति थी। बाबर नबंवर 1525 ई0 में विशेष सैनिक तैयारियों के साथ भारत की ओर चल पड़ा। जिसमे बदख्शाँ से एक सैनिक टुकड़ी के साथ बाबर का पुत्र हुमायूँ भी आ गया था, उसने शीघ्र ही सिन्धु नदी पार किया और पंजाब जा पहुँचा। पंजाब के सूबेदार दौलत खां लोदी की सेना बाबर का नाम सुनते ही भाग खड़ी हुई। दौलत खां लोदी बन्दी बना लिया गया, परन्तु मार्ग में ही उसकी मृत्यु हो गई। पंजाब पर अपनी स्थिति दृढ़ करने के पश्चात बाबर ने दिल्ली की ओर प्रस्थान किया। जब इब्राहिम लोदी को बाबर के आक्रमण का पता चला, तो वह एक विशाल सेना लेकर उसका सामना करने के लिए चल पड़ा। 12 अप्रैल 1526 ई0 को बाबर और इब्राहिम लोदी दोनो की सेनाए पानीपत के ऐतिहासिक मैदान में आमने-सामने आ डटी।
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युद्ध की तिथि और परिणाम

दोनो सेनाओं के मध्य युद्ध का आरम्भ 21 अप्रैल 1526 ई0 को हुआ। ऐसा माना जाता है कि इस युद्ध का निर्णय दोपहर तक हो गया। युद्ध मे इब्राहिम लोदी बुरी तरह परास्त होने के साथ ही मार दिया गया। बाबर ने अपनी कृति “बाबारनामा” में इस युद्ध को जीतने में मात्र 12,000 सैनिकों के उपयोग का जिक्र किया है, पर इस विषय पर इतिहासकारो में मतभेद है। इस युद्ध मे बाबर ने पहली बार प्रसिद्ध तुलुगमा युद्ध नीति एवं तोपखाने का प्रयोग किया। पानीपत की विजय के बाद बाबर ने एक सेना अपने पुत्र हुमायूँ के नेतृत्व में आगरा पर अधिकार करने के लिए भेजी और स्वयं उसने दिल्ली पर अधिकार कर लिया। 27 अप्रैल 1526 ई0 को दिल्ली में ही मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर के नाम का खुतबा पढ़ा गया। इसके साथ ही लोदी सल्तनत का अंत हो गया और भारतीय इतिहास में एक नवीन अध्याय का आरम्भ हुआ।
Panipat First Battle –Timeline
| वर्ष / तिथि | प्रमुख घटनाएँ | Note |
| 1519–1525 ई. | बाबर के भारत पर पाँच आक्रमण, राजनीतिक स्थिति का आकलन | Babar India Invasion Timeline |
| नवंबर 1525 | बाबर काबुल से भारत के अंतिम और निर्णायक अभियान पर रवाना | Journey to Panipat |
| जनवरी 1526 | सिन्धु नदी पारकर पंजाब में प्रवेश; अफगानों का विरोध नगण्य | Entry of Mughal forces |
| मार्च 1526 | पानीपत के मैदान में रणनीतिक तैयारी — नावों की जंजीरें, खाई और लकड़ी की अर्राबंदी | Tulugma tactic setup |
| 12 अप्रैल 1526 | इब्राहिम लोदी विशाल सेना के साथ पानीपत पहुँचा | Afghan Army Arrives |
| 21 अप्रैल 1526 –युद्ध दिवस | सुबह तोपों की गड़गड़ाहट से युद्ध प्रारम्भ |
- तुलुगमा युद्ध नीति से अफगान सेना घिरी
- इब्राहिम लोदी युद्धभूमि में मारा गया (Decisive Mughal Victory)
(22–26 अप्रैल 1526) अफगानों के शेष दल आत्मसमर्पण, मुगल सत्ता का नियंत्रण (End of Lodi Rul) - (27 अप्रैल 1526) दिल्ली में बाबर के नाम से खुतबा पढ़ा गया — मुगल वंश की स्थापना (Foundation of Mughal Empire)
- बाबर के पास तोपखाना, बंदूकधारी सैनिक और तेज घुड़सवार थे
- इब्राहिम लोदी हठी, सरदारों से असंतुष्ट, युद्ध कौशल में कमजोर था
- यह युद्ध कुछ घंटों में निर्णय कर दिया गया
- दिल्ली सल्तनत का अंत और मुगल साम्राज्य का उदय यहीं से शुरू
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पानीपत के प्रथम युद्ध के प्रमुख परिणाम
पानीपत के प्रथम युद्ध के परिणाम इब्राहिम लोदी और बाबर के लिए अत्यंत निर्णायक सिद्ध हुए, इस युद्ध के परिणामस्वरूप भारत मे एक युग की समाप्ति हुई, तथा दूसरा युग शुरू हुआ। इस युद्ध के परिणामो को निम्नलिखित सन्दर्भो में देखा जा सकता है—-
1 लोदी वंश का अंत

पानीपत के प्रथम युद्ध मे इब्राहिम लोदी की मृत्यु के साथ ही दिल्ली सल्तनत तथा लोदी वंश दोनो के शासन का अंत एक साथ हो गया। अफगानों को कुछ समय के लिए भारत की सर्वोच्च सत्ता से वंचित कर दिया गया। पानीपत के युद्ध का महत्व इस बात में निहित है कि 1192 ई0 में तराइन के जिस युद्ध मे दिल्ली सल्तनत के जन्म की प्रक्रिया शुरू हुई वह 1526 ई0 में पानीपत के मैदान में समाप्त हो गई। इतिहासकार लेनपूल के शब्दों में “अफगानों के लिए पानीपत का युद्ध उनका दुर्भाग्य था, इस युद्ध ने उनके राज्य और शक्ति का अन्त कर दिया।”
2 भारत में मुगल शासन की स्थापना

पानीपत के युद्ध मे विजय प्राप्त करने के बाद दिल्ली और आगरा के क्षेत्र बाबर के हाथों में आ गये, भारतीय राजनीति में एक नये खून मुंगलो का प्रवेश हो गया, 27 अप्रैल 1526 ई0 में दिल्ली में अपने नाम का खुतबा पढ़ कर, अपने आप को दिल्ली का बादशाह घोषित किया। बाबर की इस घोषणा के साथ ही भारत मे मुगल वंश के साम्राज्य की स्थापना हो गई। इस प्रकार अफगानों की नई और पुरानी (दिल्ली और आगरा) दोनो ही राजधानियां बाबर के अधीन हो गई।
3 भारत को नई युद्ध तकनीकों का ज्ञान
बाबर के आक्रमण के समय तक भारतीय सैनिक परंपरागत तरीके से ही युद्ध करते थे। बाबर ने कम सेना होते हुए भी लोदी की विशाल सेना को जिस तरीके से हराया उसके वैज्ञानिक स्वरुप का ज्ञान हमे होता है। बाबर ने इस युद्ध मे तुलुगमा युद्ध पद्धति का प्रयोग किया जिससे भरतीय परिचित नही थे, यह पद्धति पूरी तरह से सुरक्षा के वैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित थीं। इस पद्धति में तेजी से घूमने वाले घुड़सवार सैनिक, स्थान बदलने में सक्षम टोपे तथा अन्य बारूद प्रयोग करने वाले साधनो का प्रयोग किया जाता था। इस युद्ध मे बाबर की सफलता के बाद भारत मे भी तेज-तर्रार घुड़सवारों, टोपे, बारूद का महत्व काफी बढ़ गया था।
4 बाबर को अपार धन-संपत्ति
इस युद्ध मे बाबर को दिल्ली से अपार धन प्राप्त हुआ। जिसे उसने अपनी प्रजा और सैनिको में वितरित कर दिया।
5 अफगानों में पुनर्गठन की भावना
इस पराजय ने अफगानों की आँखे खोल दी और उन्हें अपनी सैनिक अयोग्यता का आभास हो गया। अतः उनमे नवीन उत्साह की भावना का उदय हुआ। और वे तेजी से अपनी शक्ति का संगठन करने लगे।
6 धर्मनिरपेक्ष शासन का उदय
मुगलो ने भारत मे धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना की। उन्होंने धर्म को राजनीति से पूर्णतः अलग करके सभी धर्मो के साथ उदारता का व्यवहार किया।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इस युद्ध का सबसे निर्णायक परिणाम यह रहा कि दिल्ली सल्तनत के शासन का अंत हो गया और भारत मे एक नये राजवंश “मुगल राजवंश” की स्थापना हो गई। ईश्वरी प्रसाद ने इस युद्ध के राजनीतिक परिणाम को स्पष्ट करते हुए कहा है कि “पानीपत के युद्ध से ही दिल्ली साम्राज्य बाबर के हाथों में आ गया इसी से लोदी वंश की शक्ति छिन्न-भिन्न हुई और भारत की सत्ता चागताई तुर्को के हाथों में चली गई।”
पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर की सफलता के कारण
पानीपत के युद्ध में बाबर को अफगानों के विरूद्ध विजय प्राप्त हुई। उनकी विजय के कारणों को निम्नलिखित सन्दर्भो के अंतर्गत देखा जा सकता है—-
1. इब्राहिम लोदी का सरदारों से दुर्व्यवहार
इब्राहिम लोदी जो मूर्ख एवं हठधर्मी था, उसने अपने सरदारों को असन्तुष्ट कर दिया था। उन सरदारों को उसके दरबार मे कोई सम्मान नही मिलता था जिन्हें उसके बाप और दादा सम्मानित करते थे। उसने अपने निकटतम सम्बन्धियो की भी उपेक्षा की। फलतः उसके सरदार उसके ही विरोधी हो गए और उसके शासन तंत्र को समाप्त करने के लिए षड्यंत्र रचने लगे। उन्होंने ही काबुल के शासक बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया, जिनका बाबर ने पूरा लाभ उठाया।
2. बाबर की सेना की रणकुशलता
बाबर के सैनिक वीर , साहसी, तथा रणकुशल थे। अनेक युद्धों में भाग लेने के कारण उन्हें अच्छा अनुभव प्राप्त था। इसके विपरीत इब्राहिम लोदी के सैनिक अकुशल एवं अनुभवहीन थे। वे युद्ध की पैतरेबाजी से पूर्णतया अनभिज्ञ थे। तथा उनमे राष्ट्रीयता की भावना का अभाव था। इस सम्बन्ध में बाबर ने “तुजुके बाबरी” में ठीक ही लिखा है कि “भारत के सैनिक मरना जानते हैं, युद्ध करना नही।”
3. इब्राहिम में सैनिक नेतृत्व का अभाव
बाबर और इब्राहिम लोदी के सैनिक गुणों में जमीन-आसमान का अंतर था। बाबर युद्ध कला का पण्डित था। अपने दुश्मन के अभियान करने से पूर्व ही वह अपनी सम्पूर्ण सैनिक तैयारी कर लेता था। इसके विपरीत इब्राहिम लोदी में युद्ध कला का अभाव था। उसने घिसी-पिटी प्राचीन युद्ध प्रणाली को ही अपनाया। वह सैन्य संचालन इतनी कुशलता से नही कर पाया, जितनी कुशलता से बाबर ने किया। अतः बाबर ने शीघ्र ही इब्राहिम लोदी को पराजित करने मे सफलता प्राप्त की।
4. उन्नत युद्ध तकनीक और तोपखाना
बाबर की सफलता का सबसे बड़ा कारण युद्ध मे तोपखाने एवं “तुलुगमा पद्धति” का प्रयोग था। इसमे छोटी-छोटी बंदूके भी शामिल थी। उसे तोपखाने के दी विशेषज्ञों मुस्तफा रूमी और उस्ताद अली की सेवाएं प्राप्त थी। इसके अतिरिक्त इब्राहिम लोदी के पास तोपखाने का कोई दाल नही था तथा इसके प्रयोग के संबंध में उसके सैनिक पूर्णतः अपरिचित थे। परिणाम यह हुआ कि तोपो की अग्नि वर्षा के सम्मुख भारतीय सैनिक नही ठहर सके। इसके अतिरिक्त अफगानों की युद्ध पद्धति दोषपूर्ण थी। अतएव बाबर ने “तुलुगमा युद्ध पद्धति” का प्रयोग किया जिस कारण अफगाना सेना भाग खड़ी हुई और विजय माला बाबर के गले मे पड़ी।
5. भारत में राजनीतिक एकता का अभाव
बाबर के आक्रमण के समय भारत मे राजनीतिक एकता का अभाव था। सम्पूर्ण भारत छोटे-छोटे राज्यो में बंटा हुआ था। उनमें पारस्परिक ईर्ष्या और द्वेष की भावना विद्यमान थी। वे एक-दूसरे को सहयोग देना नही चाहते थे। अतः इस परिस्थिति का लाभ उठाकर बाबर ने इब्राहिम लोदी को पराजीत कर दिया।
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निष्कर्ष
निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि जिस प्रकार तराइन के युद्ध(1192 ई0) ने भारत मे तुर्की शासन की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर दिया था, ठीक उसी प्रकार पानीपत के युद्ध ने भारत मे मुगल राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर दिया। अब बाबर को भारत में अपने राज्य के सुदृढीकरण के लिये संघर्ष करना था, इसकी स्थापना के लिए नही। प्रो0 एम0 एम0 जाफर के शब्दों में “इस युद्ध से भारतीय इतिहास में एक नवीन युग का प्रादुर्भाव हुआ, लोदी वंश के स्थान पर मुगल वंश की स्थापना हुई।”
FAQ / PAQ (People Also Ask)/ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. पानीपत का प्रथम युद्ध कब और किनके बीच लड़ा गया?
उत्तर: पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल 1526 ईस्वी को लड़ा गया था। यह संघर्ष मुगल शासक बाबर और दिल्ली सल्तनत के अंतिम सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच हुआ। हरियाणा के पानीपत के विस्तृत मैदान इस ऐतिहासिक भिड़ंत के साक्षी बने, जिसने भारतीय इतिहास की दिशा बदल दी।
Q2. पानीपत के प्रथम युद्ध में किसकी विजय हुई?
उत्तर: इस निर्णायक युद्ध में बाबर की पूर्ण विजय हुई। इब्राहिम लोदी युद्धभूमि पर मारे गए, और इसके साथ ही दिल्ली सल्तनत का अंत लगभग तय हो गया। बाबर की जीत ने भारत में मुगलों के शासन की शुरुआत के रास्ते खोल दिए।
Q3. पानीपत के प्रथम युद्ध का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम क्या था?
उत्तर: इस युद्ध का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक परिणाम था दिल्ली सल्तनत का समाप्त होना और मुगल साम्राज्य की स्थापना। बाबर की सफलता ने न केवल राजनीतिक सत्ता बदली बल्कि आने वाले दो सौ वर्षों से अधिक तक भारत की प्रशासनिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाला।
Q4. बाबर ने अपने युद्ध में विशेष रूप से कौन-सी तकनीक अपनाई?
उत्तर: बाबर ने युद्ध में मुख्यतः तोपखाने का इस्तेमाल किया, जो भारत में उस समय एक नई और अत्यंत प्रभावी तकनीक थी। इसके साथ-साथ उसने तुलुगमा युद्ध पद्धति अपनाई, जिसमें सेना को छोटे-छोटे दलों में विभाजित कर घेराव और तेज़ चालों से हमला किया जाता था। इन आधुनिक रणनीतियों ने लोदी सेना को पूरी तरह चौंका दिया।
Q5. भारतीय इतिहास में पानीपत के प्रथम युद्ध को महत्वपूर्ण क्योंमाना जाता है?
उत्तर: यह युद्ध महत्वपूर्ण इसलिए माना जाता है क्योंकि इसने भारत में एक नए राजनीतिक युग की शुरुआत की। मुगल शासन की स्थापना के साथ देश की सैन्य प्रणाली, प्रशासनिक ढांचा, कला-संस्कृति और आर्थिक नीतियों में गहरे परिवर्तन आए। पानीपत की यह लड़ाई आगे चलकर भारतीय इतिहास की कई महत्वपूर्ण घटनाओं की आधारशिला बनी।
