1398 ई. में तैमूरलंग का भारत आक्रमण: कारण, परिणाम और इतिहास का संक्षिप्त विश्लेषण/Timur’s Invasion of India in 1398: Causes, Consequences, and a Brief Historical Analysis

1398 ई. में तैमूरलंग का भारत आक्रमण मध्यकालीन भारत के इतिहास में सबसे विनाशकारी आक्रमणों में गिना जाता है। इस आक्रमण ने दिल्ली सल्तनत के पतन, राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और सामाजिक प्रभावों की शुरुआत की। आइए जानते हैं इसके कारण, घटनाएँ और परिणाम।

तैमूरलंग का परिचय और भारत पर आक्रमण की तैयारी

तैमूर का चरित्र और सैन्य कौशल

तुगलक कालीन मंगोल आक्रमणों में सबसे अधिक प्रमुख हैं, महमूदशाह के समय मे मंगोल नेता तैमूर का आक्रमण। तैमूर एक महान सेनापति, कट्टर सैनिक और कुशल राजनीतिज्ञ था। उसकी शक्ति एवं क्रूरता उसके मुख्य साधन थे, जिसके बल पर उसने एक बड़े साम्राज्य को स्थापित करने में सफलता प्राप्त की। उसने अपने जीवन मे व्यवस्था और शासन की ओर ध्यान नही दिया, वह सिर्फ विजेत था और महान सेनापति की भांति उसने विजये की। एक प्रारंभिक युद्ध मे उसकी एक टांग घायल हो गई, जिस कारण वह तैमूर लंग के नाम से विख्यात हुआ। परन्तु तब भी वह एक महान योद्धा और सेनापति सिद्ध हुआ।

समरकन्द और आक्रमण की योजना

 तैमूर लंग समरकन्द का रहने वाला चगताई तुर्क था। अफगानिस्तान को जिताने के बाद उसने भारत आक्रमण की योजना बनाई।

भारत पर आक्रमण के मुख्य कारण

राजनीतिक स्थिति

फ़िरोजशाह तुग़लक की मृत्यु के पश्चात तुगलक वंश में कोई योग्य शासक नही था। उस समय दिल्ली की स्थिति अत्यंत डावांडोल थी। दरबार षड़यंत्रो एवं कुचक्रों का अखाड़ा बना हुआ था। सुल्तान की शक्ति और प्रतिष्ठा विल्कुल नष्ट हो चुकी थी। राज्य सिमटकर अत्यंत संकुचित हो गया था। इस स्थिति का लाभ उठाकर तैमूर ने 1398 ई0 में भारत पर आक्रमण किया।

तैमूर लंग की महत्वाकांक्षा

तैमूर लंग एक महान विजेता एवं योद्धा था। अपनी सैनिक प्रतिभा के बल पर वह समरकन्द का शासक बन बैठा, शीघ्र ही उसने सम्पूर्ण मध्य एशिया में अपनी सत्ता स्थापित कर ली। अन्य महान विजेताओं की तरह तैमूर भी बहुत महत्वाकांक्षी था। वह अधिक से अधिक भूमि पर अपना अधिकार करना चाहता था। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने भारत पर भी आक्रमण कर दिया।

धन की लालसा

भारत की समृद्धि और वैभव के बारे में तैमूर लंग ने बहुत कहानियां सुन रखी थी, इसिलिए भारत की धन-संपत्ति को  लूटने के लिए ही आक्रमण की योजना बनाई और दिल्ली सल्तनत की इस राजनीतिक दुर्बलता ने तैमूर लंग को भारत पर आक्रमण करने का अवसर प्रदान किया। डॉ0 ए0 एल0 श्रीवास्तव ने इन शब्दों में इस उद्देश्य का वर्णन किया है, “हिन्दुस्तान की विशाल संपत्ति ने उसका ध्यान आकर्षित किया था। दिल्ली सल्तनत कुलबुला रही थी और इससे तुर्की के विजेता को अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने का मौका मिला।”

इस्लाम धर्म का प्रसार

तैमूर लंग कट्टर मुसलमान था और मूर्ति पूजा करने वालो से घृणा करता था। तैमूर लंग की आत्मकथा “मलफुसात-ए-तैमूरी” से ज्ञात होता है कि तैमूर लंग के भारत पर आक्रमण करने का मुख्य उद्देश्य काफिरों का उन्मूलन करना तथा मूर्ति पूजा को समाप्त करना था तथा गाजी एवं मुजाहिद का पद प्राप्त करना था।

चंगेज खान के अधूरे कार्य को पूरा करना

कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि इल्तुतमिश के समय किये गए चंगेज खान के आक्रमण के अधूरे कार्य  को पूरा करना भी उसका उद्देश्य था।

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तत्कालीन कारण

तैमूर लंग के आक्रमण का तत्कालीन कारण उसके पोते मीर मुहम्मद सुल्तान, जो उस समय काबुल का सूबेदार था, मुल्तान के शासक सरंग खां के मध्य संघर्ष था। मुल्तान के शासक ने उसको कर देने से इंकार कर दिया था। सरंग खां द्वारा कर न देने के प्रश्नन पर तैमूर लंग व उसके पोते ने 1398 ई0 में भारत पर आक्रमण कर दिया।

भारत आक्रमण और दिल्ली की लूट

युद्ध और पराजय

तैमूर लंग ने 1398 ई0 में समरकन्द से भारत के लिए कूच कर दिया। मार्ग में पड़ने वाले राज्यो, नगरों, कस्बो, बस्तियों, आदि को जलाती तथा निर्दोष की हत्या करती हुई आँधी की तरह तैमूर लंग की सेना दिल्ली के समीप आकर ठहर गई। यह एक भीषण तूफान के आने की सूचना थी। दिल्ली वासी भयभीत हो उठे। अशक्त सुलतान ने तैमूरी आँधी को मार्ग में रोकने का प्रयास ही नही किया था। जब खतरा सिर पर मँडराने लगा, तब नासीरुद्दीन महमूदशाह अपने बजीर मल्लू खां के साथ तैमूर लंग का मुकाबला करने को आगे बढ़ा। 17 दिसम्बर 1398 ई0 को दिल्ली के निकट हुए युद्ध मे तैमूर लंग ने महमूदशाह को बुरी तरह पराजित कर दिया। महमूदशाह और उसका वजीर अपनी जान बचाने के दिल्ली को भग्य के भरोसे छोड़कर भाग खड़े हुए।

लूटपाट और विनाश

तैमूर  ने अपनी सेना के साथ दिल्ली में प्रवेश किया। वहाँ उसने लूटपाट की तथा हजारो लोग मार डाले और बहुत से गुलाम बना लिए गए।

 दिल्ली को लूटने के बाद 1399 ई0 में तैमूर लंग मेरठ की ओर कूच किया और वहां भी उसने लूटपाट की। इसके बाद वह हरिद्वार, नगरकोट,पंजाब, कश्मीर के रास्ते लाहौर वापस आ गया। हर जगह उसने लूटपाट की, नगरों और मंदिर एवं मूर्तियों को तोड़ा। गैर मुस्लिमो को धर्म परिवर्तन करने के लिए बाध्य किया। हजारो व्यक्तियों की हत्याएं हुई, असंख्य गुलाम बना लिए गए। खिज्र खां को लाहौर, मुल्तान, दीपालपुर का सूबेदार नियुक्त कर 1399ई0 में तैमूर लंग समरकन्द चला गया।

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तैमूरलंग के आक्रमण के प्रभाव

तैमूर लंग के आक्रमण के परिणाम विनाशकारी सिद्ध हुए। इस आक्रमण ने भारत के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक पक्षो को प्रभावित किया। देश पर होने वाले आक्रमणो में यह सबसे भयंकर और विनाशकारी आक्रमण था। उस आक्रमण के प्रभावों को निम्न प्रकार से उल्लेखित किया जा सकता है—

तुगलक वंश का पतन

तैमूर लंग के आक्रमण का पहला राजनीतिक प्रभाव यह पड़ा कि इसने तुगको के शासन की इतिश्री कर दी। तुगलक वंश के अन्तिम सुल्तान नासिरूद्दीन महमूद को तैमूर लंग ने बुरी तरह पराजित किया। वह लगभग कुछ महीनों तक इधर-उधर भटकता रहा। बाद में उसने मंत्री मल्लू इकबाल की सहायता से दिल्ली पर अधिकार कर लिया था, परन्तु कुछ समय पश्चात ही 1414 ई0 में खिज्र खां ने दिल्ली पर अधिकार कर सैय्यद वंश की स्थापना की।

प्रांतों की स्वतंत्रता

तैमूर लंग के आक्रमण के परिणामस्वरूप दिल्ली सल्तनत के लगभग सभी प्रांतीय शासक अपनी-अपनी स्वतंत्रता की घोषणा करने लगे और चारो ओर अराजकता फैल गयी। जौनपुर, मालवा, गुजरात स्वतंत्र हो गये। तेलंगाना में एक हिन्दू राज्य की स्थापना हो गई। खानदेश भी स्वतंत्र हो गया। डॉ0 ए0 एल0 श्रीवास्तव के शब्दों में “इस प्रकार तैमूर लंग ने दिल्ली सल्तनत के छिन्न-भिन्न होने की प्रक्रिया को पूरा किया, जिसका श्रीगणेश मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल के अंतिम दिनों में हो गया था।”

आर्थिक प्रभाव

तैमूर लंग जिस रास्ते से दिल्ली आया और वापस लौटा, उस मार्ग में पड़ने वाले निवासियों को भीषण कष्ट उठाने पड़े। फसल चौपट हो गई, नगर, ग्राम, उजड़ गये, बड़े-बड़े भवनों, कला पूर्ण मन्दिरो को नष्ट करके देश की समृद्धि को भारी क्षति पहुँचाई। विजित नगरों में उसने खूब लूटमार की और अपार सम्पदा लूटी।  इस प्रकार देश की समृद्धि को गहरी चौट पहुंचाई, जिससे देश आर्थिक रूप से पंगू बन गया।

महामारी और भुखमरी

इस भयंकर नरसंहार के कारण दिल्ली की जलवायु दूषित हो गई, जिसके फलस्वरूप भयंकर महामारी फैली तथा फसलो के नष्ट होने से लोगो को भुखमरी का सामना करना पड़ा। इतिहासकार बदांयूनी लिखता है “जो लोग बच गये वे अकाल और महामारी के कारण मर गए। दो महीने तक तो दिल्ली में किसी पक्षी ने भी पर नही मारा।”

दिल्ली की शक्ति और प्रतिष्ठा एवं दिल्ली का वैभव समाप्त हो गया। पूरी दिल्ली उजाड़ और वीरान हो गई।

सामाजिक प्रभाव

तैमूर लंग के आक्रमण के कारण हिन्दुओ के बीच बाल विवाह को बढ़ावा दिया गया, क्योंकि उन्होंने अपनी बेटियों और बहनों की कम उम्र में शादी कर उन्हें मुस्लिमो द्वारा छीनने से बचाया। तैमूर लंग में आतंक से परेशान होकर भरतीय महिलाओं ने तैमूर के नाम का जिक्र करके अपने बच्चों को पालना शुरू कर दिया। इस प्रकार देखा जाय तो इस आक्रमण से सामाजिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

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सांस्कृतिक प्रभाव

तैमूर लंग के आक्रमण का भारत पर सांस्कृतिक प्रभाव भी हुआ। भारत के विभिन्न प्रान्त छोटे-छोटे राज्यो में बटकर दिल्ली के नियंत्रण से मुक्त हो गए और स्वतंत्र पूर्वक अपनी संस्कृति का सृजन तथा संवर्धन करने लगे। इस प्रकार मालवा, गुजरात, बंगाल, जौनपुर तथा बहमनी राज्यो में शिल्पकला की वृद्धि हुई। साहित्य के क्षेत्र में जौनपुर की विशेष  रुप से उन्नति हुई। जौनपुर साहित्यकारों तथा धर्माचार्यो का केन्द्र बन गया। गुजरात तथा बहमनी राज्यो में भी जौनपुर की भांति साहित्य की अत्यधिक उन्नति हुई। तैमूर लंग भारत की भव्य शिल्पकला से अत्यधिक प्रभावित हुआ था और उसने भारतीय कारीगरों को अपने साथ ले जाकर समरकन्द में कई मस्जिदें एवं भवन बनबाये। इससे भारीय भवन निर्माण कला को नया क्षेत्र तथा नया वायुमंडल प्राप्त हुआ। भरतीय भवन निर्माण कला ने मध्य एशिया को स्थापत्यकला के सम्मिश्रण से नया स्वरूप प्रदान किया और लगभग सवा सौ वर्षों के उपरांत पुनः विदेश से अपनी मातृ-भूमि  में इसका प्रत्यागमन हुआ। भारत मे इसका अपने नये स्वरूप में मुगल बादशाहों के आश्रय में विकास हुआ जो अपने चरम पर पहुंच गया।

निष्कर्ष

निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि तुगलक वंश के पतन में तैमूर लंग के आक्रमण ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।भारतीयों के सम्पर्क के कारण अनेक मंगोल भारत मे बस गये। इन्होंने भी सल्तनत की राजनीति में भाग लिया। तैमूर लंग के आक्रमण से प्रेरणा लेकर ही बाबर ने भारत मे मुगल साम्राज्य की स्थापना की। भारत की आर्थिक, सामाजिक व्यवस्था भी इस आक्रमण से प्रभवित हुई। इस आक्रमण ने भारत को दरिद्र बना दिया

PAQ (People Also Ask)

Q1: तैमूरलंग ने भारत पर 1398 में क्यों आक्रमण किया?

Ans: तैमूरलंग ने भारत पर आक्रमण करने के पीछे कई उद्देश्य रखे। वह अपनी सैन्य महत्वाकांक्षा को सिद्ध करना चाहता था, साथ ही भारत की राजनीतिक कमजोरी और समृद्धि भी उसके लिए आकर्षण का केंद्र थी। दिल्ली सल्तनत में आंतरिक कलह और कमजोर प्रशासन ने उसे भारत पर हमला करने का अवसर दिया। धार्मिक उद्देश्यों के नाम पर उसने अपने आक्रमण को न्यायसंगत ठहराने का प्रयास किया।

Q2: तैमूरलंग का आक्रमण दिल्ली सल्तनत पर कैसा प्रभाव डालता है?

Ans: तैमूरलंग के आक्रमण ने दिल्ली सल्तनत को कमजोर कर दिया। कई प्रांत स्वतंत्र हो गए और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई। सत्ता परिवर्तन और दल-बदल ने सल्तनत के अंदरूनी तंत्र को कमजोर कर दिया, जिससे तुगलक वंश का पतन तेज़ हुआ।

Q3: तैमूरलंग के आक्रमण का आर्थिक प्रभाव क्या था?

Ans: इस आक्रमण के दौरान शहरों और गांवों का भारी विनाश हुआ। संपत्ति और धन का लूटपाट हुआ, कृषि और व्यापार प्रणाली बुरी तरह प्रभावित हुई। इसके कारण देश की आर्थिक स्थिति दीर्घकाल तक कमजोर रही और पुनर्निर्माण में समय लगा।

Q4: सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव क्या पड़े?

Ans: सामाजिक जीवन पर संकट आया और जनजीवन प्रभावित हुआ। बाल विवाह जैसी कुरीतियों में वृद्धि हुई। सांस्कृतिक केंद्रों का विनाश हुआ, लेकिन पुनर्निर्माण के दौरान भारतीय कला और वास्तुकला का मध्य एशिया में प्रसार भी हुआ।

Q5: तैमूरलंग के आक्रमण का दीर्घकालिक महत्व क्या है?

Ans: तैमूरलंग के आक्रमण ने तुगलक वंश के पतन में मदद की। भारत में मंगोल बसावट बढ़ी और यह बाबर के भारत आगमन तथा मुगल साम्राज्य की स्थापना के लिए प्रेरक घटना बनी। इसके माध्यम से भारत के इतिहास में राजनीतिक और सांस्कृतिक बदलावों की नींव पड़ी

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