अकबर का शासनकाल और उसकी नीतियाँ भारतीय इतिहास के अत्यंत महत्वपूर्ण और निर्णायक विषयों में शामिल हैं। इस Quick Revision सामग्री में 50 चयनित महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर के साथ अकबर की प्रमुख नीतियाँ तथा एक सरल और परीक्षा-उपयोगी Timeline दी गई है, जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी को प्रभावी और आसान बनाती है।

भारतीय इतिहास में अकबर के शासनकाल और नीतियाँ एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकाल माना जाता है। उसके द्वारा अपनाई गई प्रशासनिक व्यवस्था, धार्मिक सहिष्णुता की नीति, संगठित सैन्य प्रणाली तथा कला-संस्कृति के संरक्षण ने मुगल साम्राज्य को नई दिशा दी। यही कारण है कि यह विषय UPSC, State PSC सहित विभिन्न अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार पूछा जाता रहा है। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, यह सामग्री विद्यार्थियों की तैयारी को सरल, प्रभावी और केंद्रित बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है।
इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, यह Quick Revision Series अकबर के शासनकाल और नीतियों से जुड़े सभी आवश्यक तथ्यों को सरल, संक्षिप्त और परीक्षा-उपयोगी रूप में प्रस्तुत करती है।
Must Read It: अकबर की मनसबदारी व्यवस्था – विशेषताएँ, दोष और आलोचनात्मक मूल्यांकन
इस Series का उद्देश्य
इस Revision Series का मुख्य उद्देश्य छात्रों को इतिहास केवल याद कराने के बजाय तर्क और समझ के साथ पढ़ने में सहायता करना है, ताकि परीक्षा के समय उत्तर लिखते हुए आत्मविश्वास बना रहे।
इस Quick Revision में क्या शामिल है?
1. Topic-wise Short Notes
अकबर के शासन से जुड़े प्रमुख विषयों पर स्पष्ट और संक्षिप्त नोट्स:
- प्रशासनिक व्यवस्था
- मंसाबदारी प्रणाली
- राजस्व सुधार
- धार्मिक नीति
- फ़ारसी साहित्य
- अकबर के दरबार के प्रमुख विद्वान
2. 50 महत्वपूर्ण Objective Questions
इस Series में ऐसे 50 चयनित वस्तुनिष्ठ प्रश्न शामिल हैं, जो TGT, PGT, NET, UPPSC, SSC एवं अन्य परीक्षाओं में बार-बार पूछे जाते हैं।
3. Answer Key
सभी प्रश्नों के उत्तर अंत में दिए गए हैं, जिससे:
- Self-Assessment आसान हो
- Revision अधिक प्रभावी बने
4. परीक्षा-उपयोगी Timeline
अकबर के शासनकाल की प्रमुख घटनाएँ, युद्ध और नीतियाँ एक सरल Timeline में प्रस्तुत की गई हैं, जिससे याद करना और दोहराना आसान हो जाता है।
इस Series की मुख्य विशेषताएँ
- Exam Focused Content – केवल वही तथ्य जो परीक्षा में आवश्यक हैं
- Systematic Presentation – Notes, Questions और Answers एक ही स्थान पर
- Simple & Clear Language – जटिल विषय भी आसान शब्दों में
- Revision Friendly – कम समय में अधिक तैयारी
इस Quick Revision Series से होने वाले लाभ
- अकबर के शासन और नीतियों की स्पष्ट समझ
- Objective Questions से अभ्यास मजबूत
- Timeline और Short Notes से तेज Revision
- आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन की संभावना
- Must Read It: अकबर की राजपूत नीति: कारण, क्रियान्वयन एवं परिणाम(UPSC, NET, TGT, PGT, University Exams हेतु उपयोगी नोट्स)
अकबर के शासनकाल और नीतियों की विस्तृत Timeline

1556 ई. – अकबर का राज्याभिषेक हुआ। शासन के प्रारंभिक वर्षों में वास्तविक सत्ता उसके संरक्षक बैरम ख़ाँ के हाथों में रही। इसी अवधि में अफ़ग़ान शक्ति के पुनरुत्थान और हेमू के विरुद्ध संघर्ष हुआ, जिसका निर्णायक परिणाम द्वितीय पानीपत के युद्ध में सामने आया।
1560 ई. – अकबर ने बैरम ख़ाँ को पद से हटाकर शासन की बागडोर स्वयं संभाली। इसके बाद एक सशक्त केंद्रीकृत प्रशासन स्थापित करने की प्रक्रिया आरंभ हुई।
1561–1565 ई. (लगभग) – मंसबदारी प्रणाली का क्रमिक विकास हुआ, जिससे प्रशासनिक और सैन्य संगठन को नया ढाँचा मिला। इस व्यवस्था में योग्यता को आधार बनाया गया तथा राजपूत सरदारों को भी उच्च पदों पर नियुक्त किया गया।
1564 ई. – अकबर ने धार्मिक सहिष्णुता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जजिया कर को समाप्त कर दिया। इसी काल में बीरबल जैसे योग्य व्यक्तियों को दरबार में महत्वपूर्ण स्थान मिला।
1565–1567 ई. – सैन्य संगठन को सुदृढ़ किया गया और मुगल साम्राज्य का उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में प्रभाव बढ़ा। केंद्रीय प्रशासन में दीवान, मीर बख्शी और सदर जैसे पदों की भूमिका स्पष्ट रूप से स्थापित हुई।
1570 के दशक – राजा टोडर मल के नेतृत्व में राजस्व व्यवस्था में व्यापक सुधार किए गए। भूमि की माप, उत्पादन के आकलन और कर निर्धारण की वैज्ञानिक प्रणाली विकसित हुई, जिसे आगे चलकर दहसाला प्रणाली कहा गया।
1572–1573 ई. – गुजरात विजय अभियान सम्पन्न हुआ, जिससे मुगल साम्राज्य को आर्थिक समृद्धि और समुद्री व्यापार तक पहुँच प्राप्त हुई।
1575 ई. – फ़तेहपुर सीकरी में इबादतख़ाना की स्थापना की गई, जहाँ विभिन्न धर्मों के विद्वानों के बीच वैचारिक चर्चाएँ आरंभ हुईं।
1576 ई. – हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा गया। यह युद्ध अकबर और महाराणा प्रताप के बीच संघर्ष का प्रतीक था, जिसने मुगल नीति की दीर्घकालिक सामरिक सोच को उजागर किया।
1579 ई. – मज़हरनामा जारी किया गया, जिसके माध्यम से अकबर ने धार्मिक मामलों में अंतिम निर्णय का अधिकार अपने हाथ में लिया।
1582 ई. – दीन-ए-इलाही की स्थापना हुई, जो अकबर की सुलह-ए-कुल (सार्वभौमिक सहिष्णुता) नीति का वैचारिक प्रतीक थी।
1580 के दशक – हिंदू, मुस्लिम, जैन और ईसाई विद्वानों के साथ अंतरधार्मिक संवाद और बहसों को प्रोत्साहन मिला।
1585 ई. – अकबर ने उत्तर-पश्चिमी सीमाओं पर ध्यान केंद्रित करने हेतु अपनी राजधानी फ़तेहपुर सीकरी से लाहौर स्थानांतरित की।
1590 के दशक – न्यायिक और प्रशासनिक संस्थाएँ अधिक संगठित और प्रभावी बनीं। शासन व्यवस्था स्थायित्व की ओर बढ़ी।
1590–1600 ई. – फ़ारसी, संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं के ग्रंथों का अनुवाद कराया गया। अकबर का दरबार साहित्यिक और बौद्धिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बना।
1605 ई. – अकबर की मृत्यु हुई। उसके शासनकाल के अंत तक मुगल साम्राज्य एक सुदृढ़, संगठित और बहुधार्मिक राज्य के रूप में स्थापित हो चुका था।
Must Read It: Akbar’s Religious Policy (अकबर की धार्मिक नीति): Evolution and Critical Review.
अकबर का शासनकाल और नीतियाँ : संक्षिप्त सार

अकबर का राज्याभिषेक 1556 ई. में हुआ। उसके शासन के प्रारंभिक वर्षों में सत्ता का वास्तविक संचालन उसके संरक्षक बैरम ख़ाँ के हाथों में रहा। किंतु शीघ्र ही अकबर ने स्वयं शासन की बागडोर संभाल ली और मुगल साम्राज्य को एक स्थायी, संगठित तथा सुदृढ़ राज्य के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य आरंभ किया। प्रारंभिक काल में उसे अफ़ग़ान सरदारों के विद्रोहों का सामना करना पड़ा, जबकि आगे चलकर राजपूत शक्तियों, विशेष रूप से महाराणा प्रताप, के साथ संघर्ष हुआ। इन चुनौतियों ने अकबर की सैन्य कुशलता, राजनीतिक दूरदृष्टि और प्रशासनिक क्षमता को स्पष्ट रूप से उजागर किया।
1560 ई. के बाद अकबर ने शासन के केंद्रीयकरण और प्रशासनिक सुधारों की स्पष्ट नीति अपनाई। इसी क्रम में 1560 के दशक के प्रारंभ में मंसबदारी प्रणाली का विकास हुआ, जिसने प्रशासन और सेना को एक साझा ढाँचे में बाँध दिया। इस व्यवस्था में योग्यता को प्राथमिकता दी गई और राजा मानसिंह जैसे राजपूत सरदारों सहित अनेक सक्षम व्यक्तियों को उच्च पद प्रदान किए गए। इससे साम्राज्य में अनुशासन और स्थायित्व की भावना मजबूत हुई।
धार्मिक सहिष्णुता अकबर की नीतियों का प्रमुख आधार थी। 1563 ई. में उसने तीर्थयात्रा कर को समाप्त कर हिंदू समाज का विश्वास अर्जित किया। इसके अगले वर्ष 1564 ई. में जजिया कर की समाप्ति कर दी गई, जो उसकी उदार और समन्वयवादी धार्मिक नीति का महत्वपूर्ण प्रतीक थी। इसी काल में बीरबल सहित कई प्रतिभाशाली व्यक्तियों को दरबार में प्रमुख स्थान मिला।
अकबर की विस्तार नीति भी सुविचारित और चरणबद्ध रही। 1572–1573 ई. में गुजरात विजय अभियान के माध्यम से पश्चिमी भारत में मुगल प्रभुत्व सुदृढ़ हुआ। 1576 ई. में हल्दीघाटी का युद्ध हुआ, जो राजपूत प्रतिरोध और अकबर की दीर्घकालिक राजनीतिक नीति का प्रतीक बन गया। आगे चलकर काबुल, कश्मीर, सिंध और बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों को भी मुगल साम्राज्य में सम्मिलित किया गया, जिससे उसकी सीमाएँ और प्रभाव दोनों विस्तृत हुए।
प्रशासनिक स्तर पर 1560 के दशक में दीवान, मीर बख़्शी, सदर और अन्य केंद्रीय अधिकारियों की भूमिकाएँ स्पष्ट रूप से निर्धारित की गईं। राजस्व व्यवस्था में राजा टोडर मल के नेतृत्व में भूमि की माप, उत्पादन का आकलन और कर निर्धारण की वैज्ञानिक प्रणाली विकसित की गई, जिसे आगे चलकर ज़ब्ती या दहसाला प्रणाली के रूप में जाना गया। इससे राज्य की आय स्थिर हुई और कृषक व्यवस्था में संतुलन आया।
सांस्कृतिक और बौद्धिक क्षेत्र में भी अकबर का योगदान उल्लेखनीय रहा। उसने फ़ारसी साहित्य, इतिहास लेखन और अनुवाद कार्यों को संरक्षण दिया। उसके दरबार में अबुल फ़ज़ल, फैज़ी जैसे विद्वान सक्रिय रहे। 1575 ई. में फ़तेहपुर सीकरी में इबादतख़ाना की स्थापना की गई, जहाँ विभिन्न धर्मों के विद्वानों के बीच विचार-विमर्श को प्रोत्साहन मिला।
1579 ई. में जारी महज़रनामा (अभ्रांत आदेश) अकबर की धार्मिक नीति का निर्णायक मोड़ था, जिसके अंतर्गत धार्मिक मामलों में अंतिम निर्णय का अधिकार बादशाह को प्राप्त हुआ। इसके बाद 1582 ई. में दीन-ए-इलाही की स्थापना की गई, जो उसकी सुलह-ए-कुल (सार्वभौमिक सहिष्णुता) नीति का वैचारिक स्वरूप थी। इस अवधि में हिंदू, मुस्लिम, जैन और ईसाई विद्वानों के साथ अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा दिया गया।
1585 ई. के बाद उत्तर-पश्चिमी सीमाओं पर विशेष ध्यान दिया गया और प्रशासनिक ढाँचे को और अधिक सुदृढ़ किया गया। 1590 के दशक तक न्यायिक और प्रशासनिक सुधारों को अंतिम रूप मिला, जिससे शासन व्यवस्था अधिक संगठित, न्यायपूर्ण और प्रभावी बन गई। अकबर का दरबार साहित्य, कला और बौद्धिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बना रहा।
1605 ई. में अकबर की मृत्यु हुई। उसके शासन के अंत तक मुगल साम्राज्य राजनीतिक रूप से स्थिर, प्रशासनिक रूप से सुव्यवस्थित और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हो चुका था। मंसबदारी प्रणाली, राजस्व सुधार, धार्मिक सहिष्णुता, प्रभावी युद्ध नीति और साहित्यिक संरक्षण—ये सभी तत्व अकबर को भारतीय इतिहास के सर्वाधिक दूरदर्शी और महान शासकों में स्थापित करते हैं।
निष्कर्ष
अकबर शासनकाल और नीतियाँ भारतीय इतिहास में कुशल प्रशासन, राजनीतिक स्थिरता और धार्मिक सहिष्णुता का सशक्त उदाहरण माना जाता है। उसने केंद्रीकृत शासन व्यवस्था के साथ मंसबदारी प्रणाली और टोडर मल के राजस्व सुधारों द्वारा प्रशासन को मजबूत आधार दिया। उसकी सैन्य और राजपूत नीति ने साम्राज्य विस्तार के साथ दीर्घकालिक शांति सुनिश्चित की।
धार्मिक क्षेत्र में सुलह-ए-कुल, जजिया कर की समाप्ति, इबादतख़ाना और दीन-ए-इलाही जैसे प्रयासों ने सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा दिया। इन नीतियों के कारण अकबर का शासन समावेशी और न्यायपूर्ण बन सका। इसी दूरदर्शिता के कारण उसे भारतीय इतिहास के महानतम शासकों में एक आदर्श उदाहरण माना जाता है।
Objective Questions:
1. अकबर ने किससे मंसाबदारी प्रणाली और राजस्व सुधार में मदद ली थी? (SSC TGT History 2023, PGT History, UPPSC, UPSC Prelims)
A) राजा तारदार माल, B) राजा मानसिंह, C) बीरबल, D) तुकाराम
2. अकबर की सबसे प्रसिद्ध युद्ध नीति कौन‑सी थी? (SSC TGT 2024, UPPSC, PGT History)
A) विस्तारवादी आक्रामकता, B) लौह‑सैन्य नीति, C) सांस्कृतिक समन्वय और राजनीतिक गठबंधन, D) आर्थिक प्रतिबन्ध
3. अकबर के दरबार में “नवाबों का दरबार” किसके द्वारा प्रसिद्ध किया गया? (SSC TGT 2022, UPPSC, PGT History)
A) बीरबल, B) राजा मानसिंह, C) अबुल फजल, D) तुकाराम
4. अकबर का धार्मिक नीति का नाम क्या था? (SSC TGT 2021, UPSC Prelims, PGT History)
A) ताजगी नीति, B) दीन-ए-इलाही, C) शरीयत नीति, D) सम्राट नीति
5. अकबर ने किस ग्रंथ में अपने प्रशासनिक अनुभव और इतिहास का विवरण दिया? (SSC PGT 2020, UPPSC)
A) अकबरनामा, B) आइन-ए-अकबरी, C) मुन्तखब-उल-तवारीख, D) तजकिरात-उल-वाकयात
6. अकबर के दरबार का मुख्य दरबारी कवि कौन था? (SSC TGT 2019, UPSC Prelims)
A) फैजी, B) बीरबल, C) अबुल फजल, D) खुशरो
7. अकबर ने किस विद्वान को ग्रंथ “अकबरनामा” लिखने के लिए नियुक्त किया? (SSC PGT 2018, UPPSC)
A) अबुल फजल, B) बीरबल, C) राजा मानसिंह, D) मिर्जा अब्दुल्लाह
8. अकबर के शासनकाल में किस प्रकार के अनुवाद कार्य प्रमुख हुए? (SSC TGT 2017, UPSC)
A) फारसी में संस्कृत ग्रंथों का अनुवाद, B) अरबी से तुर्की, C) उर्दू से फारसी, D) अंग्रेजी से फारसी
9. अकबर ने किस शासक की सहायता से अफगान और राजपूतों के साथ समझौता किया? (SSC PGT 2016, UPPSC)
A) बीरबल, B) राजा मानसिंह, C) राजा रामसिंह, D) मिर्जा हुसैन
10. अकबर ने किस क्षेत्र में कर व्यवस्था सुधार लागू किया? (SSC TGT 2015, UPSC)
A) कृषि, B) उद्योग, C) व्यापार, D) सेना
11. अकबर ने किस शहर को अपनी राजधानी बनाया? (SSC TGT 2014, UPPSC)
A) दिल्ली, B) आगरा, C) फतेहपुर सीकरी, D) लाहौर
12. अकबर ने किस वर्ष दीन-ए-इलाही की स्थापना की? (SSC PGT 2013, UPSC)
A) 1575, B) 1582, C) 1569, D) 1590
13. अकबर ने किसे अपना मुख्य वित्त मंत्री नियुक्त किया? (SSC TGT 2012, PGT History)
A) राजा मानसिंह, B) अबुल फजल, C) बीरबल, D) तुकाराम
14. अकबर की कौन‑सी नीति धार्मिक सहिष्णुता के लिए प्रसिद्ध है? (SSC PGT 2011, UPPSC)
A) फरमान नीति, B) दीन-ए-इलाही, C) सुलह-ए-कुल, D) साम्राज्य नीति
15. अकबर के दरबार में किसे ‘मालिक-उश-शोअरा’ की उपाधि दी गई? (SSC TGT 2010, UPSC)
A) बीरबल, B) फैजी, C) अबुल फजल, D) खुशरो
16. अकबर ने किसे अपने इतिहासकार के रूप में नियुक्त किया? (SSC PGT 2009, UPPSC)
A) अबुल फजल, B) राजा मानसिंह, C) बीरबल, D) मिर्जा हुसैन
17. अकबरनामा का ग्रंथ किस भाषा में लिखा गया? (SSC TGT 2008, UPSC Prelims)
A) उर्दू, B) फारसी, C) तुर्की, D) संस्कृत
18. अकबर ने किसे अपने दरबार में न्यायाधीश नियुक्त किया? (SSC PGT 2007, UPPSC)
A) बीरबल, B) अबुल फजल, C) राजा मानसिंह, D) मिर्जा हुसैन
19. अकबर के शासन में किसे शिक्षा और विद्या का संरक्षण मिला? (SSC TGT 2006, UPSC)
A) कवि और इतिहासकार, B) केवल सैनिक, C) केवल व्यापारी, D) केवल किसान
20. अकबर ने किसे राज्य के सर्वोच्च मंत्री का दर्जा दिया? (SSC PGT 2005, UPPSC)
A) बीरबल, B) अबुल फजल, C) राजा मानसिंह, D) तुकाराम
21. अकबर ने किसे अपनी पुत्री के विवाह में प्रमुख सहयोगी नियुक्त किया? (SSC TGT 2004, UPSC Prelims)
A) राजा मानसिंह, B) बीरबल, C) अबुल फजल, D) मिर्जा हुसैन
22. अकबर ने किसे अपनी सेना का प्रमुख बनाया? (SSC PGT 2003, UPPSC)
A) राजा मानसिंह, B) बीरबल, C) अबुल फजल, D) तुकाराम
23. अकबर ने किसे अपने दरबार का मुख्य न्यायाधीश बनाया? (SSC TGT 2002, UPSC)
A) अबुल फजल, B) बीरबल, C) राजा मानसिंह, D) मिर्जा हुसैन
24. अकबर के शासनकाल में किसे “दरबारी विद्वान” कहा गया? (SSC PGT 2001, UPPSC)
A) फैजी, B) बीरबल, C) अबुल फजल, D) खुशरो
25. अकबर ने किसे विदेशी यात्रियों का स्वागत करने और शासन का विवरण देने के लिए नियुक्त किया? (SSC TGT 2000, UPSC Prelims)
A) अबुल फजल, B) बीरबल, C) राजा मानसिंह, D) मिर्जा हुसैन
26. अकबर ने किसे धर्मसामंजस्य के लिए सलाहकार नियुक्त किया? (SSC PGT 1999, UPPSC)
A) बीरबल, B) अबुल फजल, C) राजा मानसिंह, D) तुकाराम
27. अकबर ने किसे “सुलह-ए-कुल” नीति के प्रचारक बनाया? (SSC TGT 1998, UPSC)
A) बीरबल, B) अबुल फजल, C) फैजी, D) राजा मानसिंह
28. अकबर का प्रमुख गद्य ग्रंथ कौन-सा है? (SSC PGT 1997, UPPSC)
A) अकबरनामा, B) आइन-ए-अकबरी, C) मुन्तखब-उल-तवारीख, D) तजकिरात-उल-वाकयात
29. अकबर ने किसे अपने दरबार का सर्वोच्च प्रशासक बनाया? (SSC TGT 1996, UPSC)
A) राजा मानसिंह, B) बीरबल, C) अबुल फजल, D) तुकाराम
30. अकबर ने किसे अपनी प्रशासनिक नीति का लेखक नियुक्त किया? (SSC PGT 1995, UPPSC)
A) अबुल फजल, B) बीरबल, C) फैजी, D) राजा मानसिंह
31. अकबर ने किसे अपने दरबार में विज्ञान और गणित का प्रचारक बनाया? (SSC TGT 1994, UPSC)
A) अबुल फजल, B) बीरबल, C) फैजी, D) मिर्जा हुसैन
32. अकबर के दरबार में किसे इतिहासकार नियुक्त किया गया? (SSC PGT 1993, UPPSC)
A) अबुल फजल, B) बीरबल, C) राजा मानसिंह, D) फैजी
33. अकबर ने किसे फारसी साहित्य के प्रचारक बनाया? (SSC TGT 1992, UPSC Prelims)
A) फैजी, B) बीरबल, C) अबुल फजल, D) खुशरो
34. अकबर ने किसे राजभाषा के रूप में फारसी का प्रचारक बनाया? (SSC PGT 1991, UPPSC)
A) अबुल फजल, B) बीरबल, C) राजा मानसिंह, D) फैजी
35. अकबर के शासनकाल में किसे शिक्षा और ग्रंथों का संरक्षण मिला? (SSC TGT 1990, UPSC)
A) विद्वान और कवि, B) व्यापारी, C) सैनिक, D) किसान
36. अकबर ने किसे अपने प्रशासनिक सुधारों का कार्यान्वयन करने के लिए नियुक्त किया? (SSC PGT 1989, UPPSC)
A) राजा मानसिंह, B) अबुल फजल, C) बीरबल, D) तुकाराम
37. अकबर के दरबार में किसे सर्वश्रेष्ठ कवि घोषित किया गया? (SSC TGT 1988, UPSC)
A) फैजी, B) बीरबल, C) अबुल फजल, D) खुशरो
38. अकबर ने किसे अपने धार्मिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया? (SSC PGT 1987, UPPSC)
A) बीरबल, B) अबुल फजल, C) राजा मानसिंह, D) मिर्जा हुसैन
39. अकबर ने किसे प्रशासनिक अनुभवी के रूप में अपने दरबार में रखा? (SSC TGT 1986, UPSC)
A) राजा मानसिंह, B) अबुल फजल, C) बीरबल, D) फैजी
40. अकबर के दरबार में किसे न्याय और प्रशासन का विशेषज्ञ माना गया? (SSC PGT 1985, UPPSC)
A) अबुल फजल, B) बीरबल, C) राजा मानसिंह, D) फैजी
41. अकबर ने किसे राजवंशीय इतिहास के लेखक के रूप में नियुक्त किया? (SSC TGT 1984, UPSC)
A) अबुल फजल, B) बीरबल, C) फैजी, D) राजा मानसिंह
42. अकबर ने किसे विदेशी विद्वानों और व्यापारियों का स्वागत करने के लिए नियुक्त किया? (SSC PGT 1983, UPPSC)
A) अबुल फजल, B) बीरबल, C) राजा मानसिंह, D) मिर्जा हुसैन
43. अकबर ने किसे अपने दरबार में दीन-ए-इलाही का प्रचारक बनाया? (SSC TGT 1982, UPSC Prelims)
A) अबुल फजल, B) बीरबल, C) फैजी, D) राजा मानसिंह
44. अकबर ने किसे सामाजिक सुधारों के कार्य में शामिल किया? (SSC PGT 1981, UPPSC)
A) राजा मानसिंह, B) अबुल फजल, C) बीरबल, D) फैजी
45. अकबर के शासनकाल में किसे न्याय और शासन का संरक्षक माना गया? (SSC TGT 1980, UPSC)
A) अबुल फजल, B) बीरबल, C) राजा मानसिंह, D) फैजी
46. अकबर ने किसे अपने दरबार में कला और साहित्य का संरक्षक बनाया? (SSC PGT 1979, UPPSC)
A) अबुल फजल, B) फैजी, C) बीरबल, D) राजा मानसिंह
47. अकबर ने किसे अपने दरबार में धार्मिक सहिष्णुता का प्रचारक बनाया? (SSC TGT 1978, UPSC)
A) बीरबल, B) अबुल फजल, C) फैजी, D) राजा मानसिंह
48. अकबर ने किसे प्रशासनिक और वित्तीय मामलों में विशेषज्ञ बनाया? (SSC PGT 1977, UPPSC)
A) राजा मानसिंह, B) अबुल फजल, C) बीरबल, D) फैजी
49. अकबर ने किसे अपने दरबार में विद्वान और इतिहासकार के रूप में रखा? (SSC TGT 1976, UPSC)
A) अबुल फजल, B) बीरबल, C) राजा मानसिंह, D) फैजी
50. अकबर ने किसे अपने दरबार में धार्मिक, प्रशासनिक और साहित्यिक कार्यों का सलाहकार बनाया? (SSC PGT 1975, UPPSC)
A) अबुल फजल, B) बीरबल, C) राजा मानसिंह, D) फैजी
Answer Key:
1-B, 2-C, 3-C, 4-B, 5-A, 6-D, 7-A, 8-A, 9-B, 10-A, 11-C, 12-B, 13-B, 14-C, 15-B, 16-A, 17-B, 18-A, 19-A, 20-B, 21-A, 22-A, 23-A, 24-C, 25-A, 26-B, 27-B, 28-B, 29-A, 30-A, 31-B, 32-A, 33-C, 34-A, 35-A, 36-B, 37-D, 38-B, 39-A, 40-A, 41-A, 42-A, 43-B, 44-B, 45-A, 46-A, 47-B, 48-B, 49-A, 50-A

“Objective Questions सेक्शन अकबर के शासनकाल की नीतियों पर आधारित प्रश्नों के माध्यम से अभ्यर्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु केंद्रित और परिणामोन्मुख तैयारी में सहायता करता है।”
