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इस्लाम धर्म की शुरुआत 7वीं शताब्दी में अरब प्रायद्वीप से हुई। पैगंबर मुहम्मद द्वारा दिए गए आध्यात्मिक, सामाजिक और नैतिक संदेशों ने वहाँ के समाज को नई दिशा दी। यह आंदोलन धीरे-धीरे केवल धार्मिक दायरे तक सीमित न रहकर राजनीतिक और सांस्कृतिक शक्ति के रूप में भी उभरने लगा। भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम प्रभाव की शुरुआत 8वीं शताब्दी में मोहम्मद बिन क़ासिम की सिंध विजय से हुई। इसके बाद महमूद गजनवी और मोहम्मद गोरी जैसे शासकों के आक्रमणों ने भारतीय इतिहास की धारा को गहराई से प्रभावित किया। इस लेख में हम इस्लाम के उदय और भारत पर हुए प्रमुख मुस्लिम आक्रमणों का विश्लेषण करेंगे।

ऋग्वेद में उल्लेखित भरत कबीले के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। परंपरानुसार दुष्यंत के पुत्र भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। कुछ विद्वानों के अनुसार ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। ईरानियों ने इस देश को “हिन्दुस्तान” कहकर सम्बोधित किया है तथा यूनानियों ने इसे “इंडिया” कहा है। हिन्द (भारत) की जनता के संदर्भ में “हिन्दू” शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अरबो द्वारा किया गया।
इस्लाम धर्म का उदय और भारत पर मुस्लिम आक्रमण
सऊदी अरब में स्थित मक्का नामक स्थान पर 570 ई0 में इस्लाम धर्म के प्रवर्तक मुहम्मद साहब का जन्म हुआ। इनके पिता अब्दुल्ला और माता अमीना थी, जो बौद्ध मतालम्बी थे। इनके जन्म के 5 वर्ष बाद माँ का इन्तकाल हो जाने पर इनका पालन-पोषण दादा मुतल्लिव और चाचा अबूतालिव ने किया। 25 वर्ष की उम्र में खदीजा नामक विधवा से विवाह किया। जिससे उन्हें फातिमा नाम की पुत्री पैदा हुई, जिसका निकाह अली से सम्पन्न हुआ। मक्का के समीप हीरा की चोटी पर उन्हें संदेश मिला कि वे जाकर कुरान शरीफ के रूप में प्राप्त ईश्वरीय संदेश का प्रचार-प्रसार करे।
इस्लाम धर्म का प्रसार और विभाजन (सुन्नी और शिया)
मुहम्मद साहब की 609 ई0 से 632 ई0 तक कि गतिविधियों का संकलन ‘कुरान’ (अल्ला ने जो कहा वही कुरान है।) में है। जिसका संकलन अबूबक्र ने किया, जो प्रथम मुस्लिम खलीफा थे। इस्लाम धर्म का प्रचार एवं प्रसार करने में वहां के लोगो ने इनका प्रबल विरोध किया जिस कारण मुहम्मद साहब ने 16 जुलाई 622 ई0 को मक्का छोड़कर वहां से 300 किमी0 उत्तर की ओर “मदीना”आ गए। उनकी यह यात्रा इस्लाम मे “हिजरत” कहलाती है और इसी दिन से ‘हिजरी सम्वत’ का प्रारंभ माना जाता है। इस्लाम का अर्थ अल्ला को समर्पण। इस्लाम का आधारभूत सिद्धांत अल्ला को सर्वशक्तिमान, एक ईश्वर और जगत का पालक तथा हजरत मुहम्मद को उनका संदेश वाहक पैगम्बर मानना है। यही बात उनके कलमे में दोहराई जाती है- “लाइलाहा इल्लिलाह मुहम्मद उल रसुलिल्लाह।” अर्थात अल्ला एक है उसके अलावा दूसरा कोई नही है और मुहम्मद उसके रसूल या पैगम्बर है। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले मुसलमान यह कलमा पढ़ते है।
632 ई0 में मुहम्मद साहब का इन्तकाल हो गया। और इस्लाम धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए धार्मिक नेता के चुनाव को लेकर विवाद के कारण इस्लाम धर्म भी दो सम्प्रदायो में बट गया। जो लोग मुहम्मद साहब के वंश से संबंधित व्यक्ति को खलीफा (धार्मिक नेता) बनाने के पक्ष में थे वे शिया मतालम्बी कहलाये और उन्होंने मुहम्मद साहब की पुत्री फातिमा और दामाद अली के बेटे हसन और हुसैन को पैगम्बर का उत्तराधिकारी माना। सुन्नी मत के समर्थक लोगों का विचार था कि कोई भी योग्य व्यक्ति खलीफा बन सकता।है।
भारत पर प्रथम मुस्लिम आक्रमण – मोहम्मद बिन कासिम

भारत पर पहला मुस्लिम आक्रमण 711 ई0 में अरब आक्रमणकारी मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में हुआ। मुहम्मद बिन कासिम से पूर्व उबैदुल्लाह के नेतृत्व में एक अभियान दल भेजा गया था, परंतु वह पराजित हुआ और मारा गया। ईरान जे गवर्नर अल-हज्जाज ने मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में अरबो को सिन्ध पर आक्रमण करने के लिए भेजा। भीषण संघर्ष के बाद अरबो ने 712 ई0 में सिन्ध पर विजय प्राप्त कर ली। उस समय सिन्ध पर चच के पुत्र दाहिर का शासन था। फ़ारसी ग्रंथ चचनामा से अरबो की सिन्ध पर विजय की जानकारी मिलती है।
महत्वपूर्ण तथ्य—-– भारत पर प्रथम मुस्लिम आक्रमण के वर्ष के सम्बंध में विद्वानों में मतभेद है। वी0डी0 महाजन के अनुसार यह तिथि 711 ई0 है जबकि हरिश्चन्द्र वर्मा के अनुसार यह तिथि 712 ई0 बताई जाती है।
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मुहम्मद बिन कासिम ने सर्वप्रथम “देवल” पर आक्रमण किया था, जो एक प्रसिद्ध बंदरगाह भी था। देवल विजय के बाद जजिया कर लगा दिया गया। इसके बाद निरून, ब्राह्मणवाद, अलोर, सिक्का, मुल्तान आदि पर अरबो ने अधिकार कर लिया। कासिम की अंतिम विजय मुल्तान की थी। दाहिर की राजपुत्राणी पत्नि रानीबाई अरबो से युद्ध करते हुए सती हो गई थी। जबकि दाहिर की दूसरी ब्राह्मण पत्नी रानी लाडी और उसकी दो पुत्रियों परमल देवी और सूर्य देवी को मुहम्मद बिन कासिम अपने साथ ले गया। अरबो को आगे बढ़ने से कश्मीर के शासक ललितादित्य ने रोका। मुल्तान की विजय के बाद अरबो ने इसका नाम “सोने का नगर” रखा। मुल्तान की विजय में किसी ब्राह्मण नागरिक ने नगर में जाने वाले जन मार्ग को कासिम को बता दिया था।
गजनवी वंश और महमूद गजनवी के आक्रमण
गजनवी वंश का संस्थापक अलप्तगीन था। इस वंश को यामिनी वंश भी कहा जाता है। 963 ई0 में अलप्तगीन की मृत्यु के बाद बलप्तगीन (963-972) गुलाम पिराई (972-977ई0) ने शासन किया। इसी के शासनकाल में इसके सेनापति सुबुक्तगीन ने गुलाम पिराई की हत्या करके सत्ता पर अधिकार कर लिया। सुबुक्तगीन ही पहला तुर्क था जिसने हिन्दूशाही वंश के शासक जयपाल को पराजित किया था। 997 ई0 में सुबुक्तगीन की मृत्यु हो गई।
सुबुक्तगीन के समय से ही गजनी और हिन्दूशाही राज्य का लम्बा संघर्ष आरम्भ हुआ जो सुल्तान महमूद के समय तक चलता रहा और जिसका अंतिम परिणाम हिन्दू राज्य का नष्ट होना था।
सुबुक्तगीन की मृत्यु के बाद उसका बेटा महमूद गजनवी 998 ई0 में गजनी का शासक बना। सर हेनरी इलियट के अनुसार महमूद ने 17 बार भारत पर आक्रमण किया।
1000 से 1027 के बीच महमूद गजनवी ने 17 बार आक्रमण किया लेकिन उसके इन आक्रमणों का उद्देश्य भारत मे स्थायी मुस्लिम शासन की स्थापना करना नही था बल्कि भारत से धन लूटना था। बगदाद के खलीफा अल-कादिर-विल्लाह ने महमूद को यमीन-उद-दौला (साम्राज्य का दाहिना हाथ) तथा आमीन-उल-मिल्लाह (मुसलमानों का रक्षक) की उपाधियां प्रदान की।
उत्बी, फिरदौसी और अलबरूनी का सांस्कृतिक योगदान
महमूद गजनवी शिक्षित एवं सुसभ्य था। वह अपने दरबार मे विद्वानों और कलाकारों को आश्रय और सम्मान प्रदान करता था। उसका दरबारी इतिहासकार उत्बी था। उसने “किताब-उल-यामिनी” अथवा “तारीख-ए-यामिनी” नामक ग्रन्थ की रचना की। इसके अतिरिक्त इसके दरबार मे दर्शन,ज्योतिष और संस्कृत का उच्च कोटि का विद्वान अलबरूनी, “तारीख-ए-सुबुक्तगीन” का लेखक बैहाकी जिसे इतिहासकार लेनपूल ने ‘पूर्वी पेप्स’ की उपाधि प्रदान की थी, फारस का कवि उजारी, खुरासानी विद्वान तूसी एवं उंसुरी, विद्वान असजदी और फर्रुखी प्रमुख व्यक्ति थे।
महमूद गजनवी के दरबार का एक प्रसिद्ध इतिहासकार फिरदौसी भी था। जिसने ‘शाहनामा‘ नामक ग्रंथ की रचना की। इसे ‘पूर्व के होमर’ की उपाधि दी जाती है। फरिश्ता ने ‘तारीख-ए-फरिश्ता‘ या ‘गुलशन-ए-इब्राहिमी‘ नामक ग्रंथ की रचना की। इसका पूरा नाम मुहम्मद कासिम हिन्दूशाह था। इसकी पुस्तक ‘तारीख-ए-फरिश्ता’ बीजापुर के शासक इब्राहिम आदिलशाह को समर्पित है।

महमूद गजनवी के साथ प्रसिद्ध इतिहासकार अलबरूनी 11 वी सदी में भारत आया। उसकी पुस्तक ‘किताब-उल-हिन्द’ या ‘तहक़ीक़-ए-हिन्द’ से तत्कालीन भारत की सामाजिक सांस्कृतिक स्थिति की जानकारी मिलती है। यह पुराणों का अध्ययन करने वाला प्रथम मुस्लिम विद्वान था। उसका जन्म 937 ई0 में हुआ, वह खीवा (प्राचीन ख़्वारिज्म) देश का रहने वाला था। वह मात्र इतिहासकार ही नही था, उसके ज्ञान और रुचियों की व्याप्ति जीवन के अन्य क्षेत्रों तक थी जैसे खगोल विज्ञान, भूगोल, तर्कशास्त्र, औषधि विज्ञान, गणित, तथा धर्म और धर्मशास्त्र। उसने संस्कृत का अध्ययन किया और अनेक संस्कृत रचनाओ का उपयोग किया जिसमें ब्रह्मगुप्त, बालभद्र तथा वारामिहिर की रचनाएं विशेष उल्लेखनीय है। उसने जगह-जगह भागवत गीता, विष्णु पुराण, तथा वायु पुराण को उदृत किया। अलबरूनी ने अरबी भाषा मे ‘तहक़ीक़-ए-हिन्द’ नामक ग्रंथ की रचना की। सवर्प्रथम एडवर्ड साची ने अरबी भाषा से इस ग्रंथ का अनुवाद अंग्रेजी भाषा मे किया। इसका हिन्दी अनुवाद रजनीकांत शर्मा द्वारा किया गया। महमूद गजनवी ने संस्कृत मुद्रालेख के साथ चाँदी के सिक्के जारी किये। इन सिक्कों पर दोनों तरफ दो अलग-अलग भाषाओ में मुद्रालेख अंकित है। ऊपरी भाग पर अंकित मुद्रालेख अरबी भाषा मे था तथा दूसरी ओर अंकित लेख संस्कृत भाषा (देवनागरी लिपि) में था। सिक्को में मध्य भाग में संस्कृत भाषा मे लिखा था “अव्यक्तमेकम मुहम्मद अवतार नुरूपति महमूद।”
महमूद गजनवी ने एक विश्वविद्यालय, एक अजायबघर, एक पुस्तकालय, गजनी की विख्यात जामा मस्जिद का निर्माण करवाया। महमूद गजनवी को गाजी, मूर्ति भंजक और बुतशिकन कहा गया है (उत्बी द्वारा)
महमूद गजनवी के 17 आक्रमण
*1000 ई0 में सीमावर्ती कुछ किलो को जीता।
*1001ई0 में हिन्दूशाही वंश का शासक जयपाल के विरुद्ध।
*1003-04 ई0 में भेरा पर आक्रमण किया। (शासक वीजीराय)
*1006 ई0 में मुलतान को जीता (शासक अब्दुल फतह दाऊद)।
*1009 ई0 में आनंदपाल को पराजित किया।
*1014 ई0 में थानेश्वर को लूटा।
*1015-16 ई0 में कश्मीर पर आक्रमण किया। यह आक्रमण असफल रहा।
*1018 ई0 में कन्नौज राज्य पर आक्रमण।
*1024 से 26 ई0 में गुजरात अभियान जिसमे सोमनाथ मंदिर को लूटा।(शासक भीम देव, राजधानी अन्हिलवाड़ा)
*1027 ई0 में सिन्ध के जाटो पर आक्रमण किया यह महमूद गजनवी का भारत मे अंतिम आक्रमण था।
मोहम्मद गोरी और तराइन के युद्ध
मध्य एशिया के शासक शिहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी ने 1192 ई0 में उत्तर भारत को जीता। गोरी का प्रथम आक्रमण 1175 ई0 में मुल्तान पर हुआ। और 1205 ई0 तक वह बराबर साम्राज्य विस्तार और पूर्व विजित राज्यो की रक्षा के लिए भारत पर आक्रमण करता रहा।
1178 ई0 में मुहम्मद गोरी ने गुजरात पर आक्रमण किया किन्तु मूलराज द्वितीय या भीम द्वितीय ने अपनी योग्य एवं साहसी विधवा माँ नायिका देवी के नेतृत्व में ‘आबू पर्वत’ के निकट गोरी की सेना का मुकाबला किया और युद्ध मे अपनी वीरता का परिचय देते हुए गोरी को बुरी तरह पराजित कर दिया। यह मुहम्मद गोरी की भारत मे प्रथम पराजय थी। सन 1191 ई0 में गोरी ने भारत पर फिर आक्रमण किया जिसमें उसका मुकाबला उत्तर भारत के सिरमौर कहे जाने वाले चौहान वंशीय वीर शासक पृथ्वीराज चौहान तृतीय से तराइन के मैदान में हुआ यह युद्ध भारतीय इतिहास में ‘तराइन के प्रथम युद्ध’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस युद्ध मे गोरी मुश्किल से अपनी जान बचाकर गजनी भागने में सफल हुआ। एक वर्ष बाद सम्पूर्ण तैयारियों के साथ गोरी 1192 ई0 में फिर भारत आया और तराइन के ही मैदान में पृथ्वीराज चौहान से उसका भयंकर युद्ध हुआ जो तराइन के द्वितीय युद्ध के नाम से जाना गया। इस युद्ध मे गोरी विजय प्राप्त करने में सफल हुआ। इस विजय के बाद भारत मे मुस्लिम शक्ति की स्थापना हुई। इसी कारण यह युद्ध भारतीय इतिहास में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
गोरी के वापस जाने के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने साम्राज्य विस्तार के उद्देश्य से बुलंदशहर, मेरठ, दिल्ली पर आक्रमण कर प्रयत्क्ष नियंत्रण में ले लिया। और 1193 ई0 से दिल्ली भारत मे गोरी के साम्राज्य की राजधानी बनी। इसके बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने रणथम्भौर और कोल (अलीगढ़) की विजय की।
सन 1194 ई0 में गोरी फिर भारत आया और उसने चन्दावर के युद्ध मे कन्नौज के गहड़वाल शासक जयचन्द को पराजित किया। चंदावर वर्तमान में फिरोजाबाद जिले में यमुना नदी के तट पर स्थित है। मुहम्मद गोरी के सिक्को पर लक्ष्मी की आकृति अंकित है। और दूसरी तरफ अरबी भाषा मे कलमा खुदा हुआ है।
इक्तादारी प्रथा और दिल्ली सल्तनत की स्थापना
भारत मे गोरी की विजय और भारतीय प्रदेशो पर अधिकार करने के बाद उत्तर भारत में ‘इक्ता प्रथा’ की स्थापना की गई। और भारत मे कुतुबुद्दीन ऐबक को प्रथम इक्ता प्रदान की गई। 1192 ई0 में तराइन के द्वितीय युद्ध मे कुतुबुद्दीन ऐबक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।वस्तुतः 1192–1206 ई0 तक उसनें गोरी के प्रतिनिधि के रूप में उत्तरी भारत के विजित प्रदेशो का प्रशासन संभाला। उस अवधि में ऐबक ने उत्तरी भारत में तुर्की शक्ति का विस्तार भी किया
बिहार और उत्तरी बंगाल की विजय के बारे में गोरी एवं ऐबक ने सोचा भी नही था। इस कार्य को गोरी के एक साधारण दास इख़्तियारूद्दीन मुहम्मद बिन वख्तियार खिलजी ने किया। उसने 1202-03 ई0 में बिहार की विजय की तथा नालंदा एवं विक्रमशिला विश्व विद्यालय को नष्ट कर दिया और राजधानी उदन्तपुर (उदंतपुरी) पर कब्जा कर लिया। उसने 1204-05 ई0 में बंगाल पर आक्रमण किया। इस समय वहॉं का शासक लक्षमण सेन था। वह बिना युद्ध किये ही भाग निकला। तुर्की सेना ने राजधानी नादिया में प्रवेश कर बुरी तरह लूट-पाट की। राजा की अनुपस्थिति में नगर ने आत्मसमर्पण कर दिया। लक्ष्मण सेन ने भाग कर पूर्वी बंगाल में शरण ली और कुछ समय तक वही शासन करता रहा। इख़्तियारूद्दीन ने भी सम्पूर्ण बंगाल को जीतने का प्रयत्न नही किया। इख़्तियारूद्दीन ने लखनौती को अपनी राजधानी बनाया। प्रोफेसर हबीब के अनुसार “तुर्को द्वारा उत्तर पश्चिम की विजय ने क्रमशः शहरी क्रांति और ग्रामीण क्रन्ति को जन्म दिया।”
निष्कर्ष – भारतीय इतिहास में मुस्लिम आक्रमणों का महत्व
इस्लाम का उदय केवल एक धार्मिक घटना नहीं था, बल्कि इसके साथ सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवर्तन भी जुड़े हुए थे। भारतीय उपमहाद्वीप में हुए मुस्लिम आक्रमणों ने यहाँ की राजनीति, शासन व्यवस्था, समाज और संस्कृति पर स्थायी प्रभाव छोड़ा। सिंध विजय से लेकर तराइन के युद्धों तक की घटनाओं ने आगे चलकर दिल्ली सल्तनत और फिर मुगल साम्राज्य की नींव रखने में भूमिका निभाई। इसलिए इस्लाम और मुस्लिम आक्रमणों का अध्ययन भारतीय इतिहास को गहराई से समझने के लिए अनिवार्य है, विशेषकर प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे TGT, PGT, NET और UPSC की दृष्टि से।
FAQ Section (Featured Snippets + Exam Prep)
Q1. इस्लाम धर्म का संस्थापक कौन था और कब जन्मे?
Ans.1. इस्लाम धर्म के संस्थापक पैगंबर मुहम्मद थे, जिनका जन्म 570 ई. में मक्का में हुआ।
Q2. भारत पर पहला मुस्लिम आक्रमण किसने किया था?
Ans.2. 711-712 ई. में मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की।
Q3. महमूद गजनवी ने भारत पर कितनी बार आक्रमण किया?
Ans.3. 1000 से 1027 ई. के बीच महमूद गजनवी ने 17 बार आक्रमण किया।
Q4. तराइन का द्वितीय युद्ध कब हुआ और इसका महत्व क्या है?
Ans.4. 1192 ई. में तराइन का द्वितीय युद्ध हुआ, जिसमें मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को पराजित किया। इसी से भारत में मुस्लिम सत्ता की स्थापना हुई।
