Mughal Architecture in Hindi – मुगल स्थापत्य कला की प्रमुख विशेषताएँ और विकास | UPSC, TGT-PGT Notes.

भारत में मुगल काल के दौरान विकसित हुई वास्तुकला उपमहाद्वीप की सबसे प्रभावशाली कलात्मक धरोहरों में गिनी जाती है। ताजमहल, लाल किला, फतेहपुर सीकरी और एतमादुद्दौला जैसे स्मारक न केवल मुगल शासकों की सौंदर्य–दृष्टि को दर्शाते हैं, बल्कि उस समय की उत्कृष्ट शिल्पकला और तकनीकी दक्षता का प्रमाण भी हैं।

इस लेख में हम बाबर से लेकर औरंगज़ेब के शासन तक मुगल वास्तुकला के विकास, उसकी प्रमुख विशेषताओं और उसके ऐतिहासिक महत्व का क्रमबद्ध अध्ययन करेंगे। यह विषय UPSC, TGT–PGT, NET, SSC तथा स्नातक स्तर की परीक्षाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।

Mughal Architecture in Hindi

परिचय

कला और स्थापत्य कला के विकास की दृष्टि से मुगल काल विश्व प्रसिद्ध है। औरंगजेब को छोड़कर सभी महान मुगल सम्राट कला प्रेमी थे। मुगल काल मे स्थापत्य कला, चित्रकला, संगीत कला, लेखन कला, मूर्ति कला, आदि विभिन्न कलाओ को सम्राटो, सामंतो, एवं प्रसिद्ध हिन्दू राजाओ से काफी प्रोत्साहन मिला। मुगल कालीन कला कृतियां अत्यंत गौरवशाली परम्पराओ की जीवंत प्रतीक है। प्रस्तर खण्डों को साधक कलाकारों की छीनी एवं तूलिका ने जो अमरत्व प्रदान किया है, वह मुगल कालीन स्थापत्यकला की गौरव गरिमा की बोलती हुई कहानी है। चाहे वह फतेहपुर सीकरी हो या जामा मस्जिद, जहांगीरी महल हो या हुमायूँ का मकबरा, लाल किला हो या ताजमहल, इन सभी की एक-एक ईंट (पत्थर) हमारे मध्यकालीन ऐश्वर्य एवं चरम उत्कर्ष की प्रवल अभिव्यक्ति है, जिसका विश्व इतिहास में कोई सानी (विकल्प) नही है। लेकिन इस गौरवमयी कला में कोई नवीन खोज नही है अपितु यह तुर्क एवं अफगानों के काल मे विकसित हुई एक इन्डो-इस्लामिक कला का मिश्रण है। धर्मान्ध औरंगजेब को छोड़कर प्रारंभिक समस्त मुगल बादशाहो ने अपने निर्माण कार्यो में इसी इन्डो-इस्लामिक शैली का प्रयोग किया। 

मुगल स्थापत्य कला की विशेषताएँ

  • लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर का प्रयोग
  • ऊँचे गुम्बद, मेहराब, विशाल प्रांगण
  • नक्काशी, फूल-पत्ती की डिज़ाइन, सुलेख
  • ज्यामितीय आकृतियाँ और जालीदार खिड़कियाँ
  • चारबाग (बाग़ों की चौकोर प्रणाली)

प्रमुख मुगल बादशाहों द्वारा स्थापत्य विकास

बाबर का स्थापत्य विकास

बाबर ने अल्बानियाई वास्तुकार सिनान के शिष्यों को कस्तुनिया से भारत मस्जिद निर्माण के लिए बुलाया था। बाबर ने अनेक मस्जिदें-आगरा, बयाना, धौलपुर, ग्वालियर, अयोध्या, संम्बल आदि स्थानों पर बनवाई जिसका उल्लेख उसने अपनी आत्मकथा में किया है।  मुगलो के आते ही स्थापत्यकला में विशेष परिवर्तन हुआ, महलो में झरने और तालाबो के निर्माण ने विशेष स्थान ले लिया। बाबर को बाग लगवाने का भी काफी शौक था। उसके द्वारा लगवाया गया  आगरा  का आराम बाग आज भी अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है।

हुमायूँ का योगदान

हुमायूँ द्वारा बनाई गई इमारतों को ईरानी पद्वति से अलंकृत किया गया है। हुमायूँ का राज्यकाल अधिकांशतः युद्धों में ही बीता उसे वस्तुकला के विकास के लिये पर्याप्त समय नही मिला। फिर भी वह ईरान से कुछ कारीगरों को अपने साथ लाया था, जिन्होंने स्थापत्य कला के विकास में अपना योगदान दिया था। हुमायूँ के समय की केवल दो इमारते इस समय विद्यमान है–दिल्ली स्थित “दीनपनाह” नामक महल और हिसार जिले में  स्थित फतेहपुर की मस्जिद।

शेरशाह सूरी की वास्तुकला

हुमायूँ के शासन काल मे अल्पकाल के लिये अफगान नेता शेरशाह का दिल्ली की गद्दी पर अधिकार हो गया था। शेरशाह भी इमारते बनबाने का शौकीन था किन्तु उसे पर्याप्त समय नही मिल पाया और उसके काल मे बहुत कम इमारते बन पायीं। उसकी बनाई हुई इमारतों में “सासाराम”में स्थित उसका स्वयं का मक़बरा उल्लेखनीय है। यह हिन्दू-मुस्लिम स्थापत्यकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। इसके अतिरिक्त शेरशाह ने दिल्ली के पुराने किले की मरम्मत करवाई तथा वहाँ किला-ए-कुहना नामक मस्जिद का निर्माण करवाया।

अकबर का स्थापत्य स्वर्ण युग

अकबर के शासन काल मे स्थापत्य कला के क्षेत्र में अत्यधिक विकास हुआ। अकबर के पास बड़े पैमाने पर निर्माण करने के लिये असीमित साधन एवं पर्याप्त समय था। अकबर ने बडी-बडी इमारते, मीनारे,सराय,स्कूल, और तालाब भी बनवाये। अकबर द्वारा बनवाये गये किलो में आगरा, इलाहाबाद, और लाहौर के किले प्रसिद्ध है। आगरा के किले का निर्माण लाल पत्थर द्वारा किया गया है, जिसमे अनेक भव्य द्वार है। अकबर की इमारतों में ईरानी, राजस्थानी, तुर्की आदि सभी का प्रभाव देखने को मिलता है। फतेहपुर सीकरी मुगल स्थापत्यकला की एक मिसाल है। इसमें एक कृत्रिम झील के अलावा गुजराती, एवं बंगाली शैली में बने भवन भी है। यहां स्थित पंचमहल बौद्ध बिहारो की नकल है। इसमें इसी प्रकार के स्तम्भो का निर्माण किया गया है, जिस प्रकार से मन्दिरो में किया जाता है। अकबर ने राजपूत रानियों के लिए गुजराती शैली में महलो का निर्माण कराया। जोधाबाई का महल, दीवान-ए-आम, दीवान-के-खास, और बुलन्द दरवाजा दर्शनीय है। संगमरमर से बनी जमा मस्जिद को फर्ग्यूसन ने “A romance in stone” कहा है। बुलन्द दरबाजा अकबर ने गुजरात विजय की स्मृति में बनवाया था, गुजराती शैली और ईरानी

वस्तुकला का मिश्रण है। अकबर द्वारा निर्मित सिकंदरा में उसका मकबरा, मुगल मुगल काल मे बानी सभी इमारतों से भिन्न है, उसकी छत सपाट है, और गुम्बद विहीन है

जहाँगीर का काल – सजावट एवं नक्काशी

जहाँगीर ने वास्तुकला की अपेक्षा चित्रकला में अधिक रुचि प्रदर्शित की। लेकिन अपनी पत्नि नूरजहाँ के वास्तुकला के प्रति रुझान के कारण जहाँगीर के शासन काल मे अनेक सुंदर एवं भव्य इमारतों का निर्माण हुआ। इस काल मे संगमरमर के प्रयोग अधिकाधिक होने लगा तथा उन पर कीमती पत्थरो से नक्कासी भी की गई। जहाँगीर ने सिकंदरा में अकबर के मकबरे का निर्माण कार्य पूरा करबाया तथा लाहौर के किले का विस्तार किया और उसमें मोती मस्जिद का निर्माण करवाया। इसके समय की एक भव्य और सुंदर इमारत नूरजहां के पिता और जहाँगीर के ससुर एत्मादुद्दौला का मकबरा है। दूसरी सुंदर इमारत जहाँगीर का मकबरा है, जिसका निर्माण नूरजहाँ ने लाहौर में करवाया था।

शाहजहाँ का काल – मुगल स्थापत्य का चरम उत्कर्ष

शाहजहाँ का शासन काल वस्तुकला की प्रगति की दृष्टि से “स्वर्ण युग” कहा जाता है। शाहजहाँ के काल मे निर्मित स्थापत्य भव्यता एवं मौलिकता के दृष्टिकोण से अकबरी स्थापत्य की तुलना में गौढ़ है।लेकिन प्रदर्शन एवं अलंकृत के दृष्टिकोण से  आवश्यक ही उत्तम है। उसने शाहजहाँबाद (पुरानी दिल्ली) को बसाया तथा वहाँ लाल किले का निर्माण करवाया और उसे भव्य भवनों से सजाया। किले के अंदर की इमारतों में “दीवान-ए-आम”, “दीवान-ए-खास” विशेष प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण है। दीवान-ए-खास अपनी सुंदर नक्कासी, सजावट, एवं सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध हैं। उसके द्वारा निर्मित “जामा मस्जिद” एक प्रसिद्ध इमारत है। शाहजहाँ द्वारा निर्मित इमारतों में  आगरा के ताजमहल विश्व के सात अजूबो में से एक है। यह सम्पूर्ण मुगलकालीन वस्तुकला का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है। इसे शाहजहाँ ने अपनी प्रिय पत्नि मुमताज महल की याद में बनवाया था। शाहजहाँ ने दिल्ली, आगरा, लाहौर, कश्मीर, अजमेर,  अहमदाबाद आदि नगरों में भव्य महल, किले, मकबरे, और मस्जिदों का निर्माण करवाया। शाहजहाँ की इन इमारतों में लाल पत्थर के साथ-साथ स्वेत संगमरमर के भी प्रयोग किया गया जिससे वे अधिक आकर्षक एवं सुंदर दिखाई पड़ते हैं।

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औरंगजेब – कला का अवनति काल

औरंगजेब के शासनकाल में स्थापत्य कला की प्रगती को आघात पहुँचा। उसे ललित कलाओं में कोई रुचि नही थी। अतः उसके समय मे  जो इमारते बानी, वे अकबर तथा शाहजहाँ की इमारतों की तुलना में निम्नतर थी। उसने दिल्ली के लाल किले के अन्दर एक सफेद संगमरमर की मस्जिद बनवाया। सन 1679 ई0 में  उसने दक्षिण के औरंगाबाद में अपनी  प्रिय पत्नि की स्मृति में एक मकबरे का निर्माण करबाया। यद्यपि इसके निर्माण में ताजमहल की नकल करने की असफल कोशिश की गई है। औरंगजेब के बाद भी इमारतों का निर्माण होता रहा लेकिन इनका वो स्तर नही रहा, जो महान मुगलो की स्थापत्यकला का था

निष्कर्ष

मुगल कालीन स्थापत्य कला भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का अनमोल अध्याय है। ताजमहल, लाल किला, फतेहपुर सीकरी जैसी इमारतें आज भी विश्व में मुगल स्थापत्य की श्रेष्ठता का प्रतीक हैं।

FAQ / PAQ (People Also Ask)

Q1. मुगल कालीन स्थापत्य कला की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर:  मुगल वास्तुकला की पहचान उसकी भव्यता और सूक्ष्म कलात्मकता में निहित है। इसमें ऊँचे एवं समन्वित गुम्बद, संतुलित और सुन्दर मेहराबें, तथा बागों की प्रसिद्ध चारबाग  योजना प्रमुख रूप से दिखाई देती है। इमारतों के निर्माण में लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर का व्यापक उपयोग हुआ, जिससे संरचनाएँ अधिक आकर्षक और टिकाऊ बन सकीं। इसके अतिरिक्त दीवारों पर की गई जटिल नक़्क़ाशी, सुलेख, ज्यामितीय डिज़ाइन और क़ुरानिक आयतों की नक्काशी इसकी बड़ी विशेषताएँ हैं।

Q2. मुगल कालीन स्थापत्य कला का स्वर्ण युग किसे माना जाता है?

उत्तर:  मुगल वास्तुकला का सर्वाधिक परिष्कृत और शानदार दौर शाहजहाँ के शासनकाल को माना जाता है। इसी समय में ताजमहल, लाल किला और जमिया मस्जिद जैसी अमर कृतियाँ निर्मित हुईं। इन संरचनाओं में संगमरमर की शानदार कारीगरी, संतुलित अनुपात, बारीक नक़्क़ाशी और सौंदर्य व तकनीक का अद्भुत संयोजन देखने को मिलता है। इसलिए शाहजहाँ का समय मुगल स्थापत्य कला का “स्वर्ण युग” कहलाता है।

Q3. मुगल स्थापत्य शैली किसका मिश्रण है?

उत्तर:  मुगल स्थापत्य शैली मूलतः इंडो–इस्लामिक  परंपरा का विकसित रूप है। इसमें भारतीय (विशेषकर राजस्थानी व गुजराती), फारसी, तुर्की तथा मध्य एशियाई स्थापत्य तत्वों का सुंदर समन्वय दिखाई देता है। हिन्दू शैली की छतरियाँ, ब्रैकेट्स और जाली कार्य; फारसी बाग–योजना और मेहराबें; तथा मध्य एशियाई गुम्बद—इन सबका मेल मुगल वास्तुकला को विशिष्ट बनाता है।

Q4. अकबर द्वारा निर्मित प्रमुख स्थापत्य कृतियाँ कौन-सी हैं?

उत्तर:  अकबर ने वास्तुकला के क्षेत्र में अत्यंत प्रभावशाली योगदान दिया। उसके शासनकाल में निर्मित फतेहपुर सीकरी  उसकी स्थापत्य दृष्टि का सर्वोत्तम उदाहरण है, जहाँ बुलंद दरवाजा, जोधा बाई महल, दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास जैसी महत्वपूर्ण इमारतें इसी परिसर में स्थित हैं। इसके साथ ही आगरा किला भी अकबर की उल्लेखनीय विरासत का हिस्सा है, जहाँ रक्षा संबंधी संरचनाओं और शाही उपयोग के भवनों का बेहद संतुलित और नवोन्मेषी सम्मिश्रण देखने को मिलता है। अकबर की इमारतों में हिन्दू और इस्लामी रूपों का संतुलित मिश्रण प्रमुख विशेषता है।

Q5. ताजमहल किसने और क्यों बनवाया?

उत्तर:  ताजमहल का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी प्रिय पत्नी मुमताज़ महल की स्मृति को अमर बनाने के लिए करवाया। यह स्मारक केवल एक मक़बरा नहीं, बल्कि प्रेम और समर्पण की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति भी है। यमुना किनारे स्थित यह संगमरमर का भव्य शिल्प अपनी अनुपम सुंदरता, सममिति, जड़ाऊ कार्य, कलात्मक नक्काशी और उद्यान संरचना के कारण विश्व धरोहर की श्रेणी में एक अनोखा स्थान रखता है।

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