Shahjahan Ka Shasan Swarn Yug Kyon? कारण, विशेषताएँ और स्थापत्य कला | UPSC, PCS, NET, TGT–PGT Notes

शाहजहाँ के शासन को स्वर्ण युग के रूप में अक्सर वर्णित किया जाता है, क्योंकि इस अवधि में मुगल संस्कृति, कला और वास्तुकला ने अभूतपूर्व उन्नति देखी। शाहजहाँ के शासन में ताजमहल, लाल किला और जामा मस्जिद जैसी भव्य रचनाएँ केवल स्थापत्य उपलब्धियाँ नहीं थीं, बल्कि उस समय की राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक सम्पन्नता और रचनात्मक दृष्टि का प्रतीक भी थीं। इन्हीं कारणों से इतिहासकार शाहजहाँ के दौर को मुगल साम्राज्य की सांस्कृतिक चमक का चरम मानते हैं

परिचय

भारतीय इतिहास के मुगल सम्राटो में शाहजहाँ का महत्वपूर्ण स्थान है। उसका काल मुगलकालीन ऐश्वर्य का काल था। उसका जन्म 5 फरवरी1592 ई 0 को लाहौर में मारवाड़ के राजा उदय सिंह की बेटी जोधाबाई के गर्भ से हुआ था। उसके बचपन का नाम खुर्रम था। उसका विवाह 1612 ई 0 में नूरजहाँ के भाई आसफखां की पुत्री अर्जुमंद बनो बेगम से हुआ था। जो भारतीय इतिहास में मुमताज महल के नाम से विख्यात हुई। शहजादे के रूप में उसने अनेक युद्धों में विजय प्राप्त की।मेवाड़ की सफलता उसकी महत्वपूर्ण सफलताओ में अद्वितीय थी। दक्षिण विजय के कारण उसे शाह की उपाधि मिली। खुर्रम ने अपनी कूटनीति से अहमदनगर को संधि करने के लिए बाध्य किया इसी से प्रसन्न होकर जहाँगीर ने उसे शाहजहाँ की उपाधि प्रदान की।जहाँगीर की मृत्यु के बाद 14 फरवरी 1628 ई0 को वह सिंहासन पर बैठा।

शाहजहाँ के शासन काल की मुख्य विशेषताएँ

 शाहजहाँ ने भारत मे 1628 से 1658 ई0 तक शासन किया। इस अवधि में देश ने प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति की। इस चतुर्मुखी समृद्धि एवं विकास के कारण ही हंटर महोदय ने कहा “शाहजहाँ के शासन काल मुगल साम्राज्य अपनी शक्ति एवं उन्नति के चर्मोत्कर्ष पर पहुंच गया था।” प्रोफेसर श्री राम के अनुसार “शाहजहाँ का शासन काल बाद गौरवपूर्ण और समृद्धशाली था अतःउसे निसन्देह स्वर्ण युंग कहा जा सकता है” शाहजहाँ के शासन की निम्नलिखित विशेषताएँ के कारण इस काल को “स्वर्ण युग” कहा जाता है। जो इस प्रकर  है—-

1. प्रजावत्सल व सुखी प्रजा

शाहजहाँ अपनी प्रजा के साथ पुत्र के समान  व्यवहार करता था वह प्रजा  के सुख-दुःख में हमेशा साथ देता था। जिस कारण साम्राज्य की प्रजा उसे हृदय से प्रेम व स्नेह करती थी। गुजरात व खान देश मे पड़े दुर्भिद (अकाल) में उसने अपनी प्रजा की यथा सम्भव मदद की थी।  उसने बुरहानपुर, अहमदनगर और सूरत में भोजनालय खोले। गरीबो को निःशुल्क भोजन दिया जाता था। कृषको की मालगुजारी का 1/3 भाग माफ कर दिया गया था। ट्रेवनियर ने लिखा है कि “शाहजहाँ ने ऐसा शासन नही किया जैसे एक राजा अपनी प्रजा पर करता है, बल्कि जैसे पिता अपने परिवार तथा पुत्रो पर करता हैं।”

2. शांति एवं सुव्यवस्था

शांति तथा सुव्यवस्था की दृष्टि से शाहजहाँ का शासन काल “स्वर्ण युग” था। कुछ विद्रोहों को छोड़कर इस काल मे शांति तथा सुव्यवस्था स्थापित रही। सभी प्रान्तों के सूबेदार उसकी आज्ञाओ का पालन करते थे। उसके काल मे कोई भी ऐसा शक्तिशाली व्यक्ति भारत मे  नही था जो उसकी प्रभुता को चुनौती दे सकता था। सभी मार्ग सुरक्षित थे। साम्राज्य में सम्पूर्ण प्रजा अपना जीवन सुखी और चैन से व्यतीत कर रही थी, किसी को किसी प्रकार की परेशानी नही थी।

3. आर्थिक समृद्धि

 शाहजहाँ का काल आर्थिक   दृष्टि से भी बहुत संपन्न था, कृषि कार्य के द्वारा सरकारी आय में वृद्धि करने वालो को पुरुस्कार दिया जाता था। उसका व्यक्तिगत जीवन ऐश्वर्यपूर्ण था उसने शान-शौकत को बढ़ाने के लिए “तख्त-ए-ताऊस” का निर्माण करवाया था। भवन निर्माण कार्य में सरकारी खजाने का बहुत बड़ा भाग व्यय किया गया,फिर भी आर्थिक दृष्टि से शाहजहाँ का काल समृद्धशाली था

4. व्यापार का उत्कर्ष

शाहजहाँ के शासन काल मे पश्चिमी एशिया के देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबध पहले  की अपेक्षा अधिक सुदृढ़ हो गए। भारत की बनी अनेक वस्तुएँ यूरोपीय देशों में भेजी जाती थी। इससे भारतीय व्यापारियों को लाखों रुपयों की आय प्राप्त होती थी। व्यापारियों को आवागमन की  सभी सुविधाएं उपलब्ध थी।

5. साहित्य का विकास

 शाहजहाँ के काल को साहित्य की उन्नति का काल कहा जाय तो अतिश्योक्ति नही होगी। अब्दुल हमीद लाहौरी का “बादशाहनामाअहमद कजनिवी का “पादशाहनामा”, खाफी खां का “मंतख़ब-उल-लुबाब”,इनायत खां का “शाहजहाँनामा, आदि इस काल के प्रसिद्ध ऐतिहासिक ग्रथ है। उसके दरवारी कवियों में जगन्नाथ, कलीम, चन्द्रभान,आदि प्रमुख थे। कविन्द्राचार्य संस्कृत साहित्य के अच्छे विद्वान थे। हिन्दी साहित्य में “सिंहासन बत्तीसी”, “बारहमासा” आदि ग्रंथों मि रचना हुई। अतः साहित्य की दृष्टि से भी यह काल सर्वश्रेष्ठ था।

6. संगीत एवं चित्रकला

 शाहजहाँ संगीत का प्रेमी था। उसका दरबार गायकों से भरा रहता था। वह संगीत का एक अच्छा गायक भी था। रामदास और महापात्र उसके दरबार के प्रमुख गायक थे। सम्राट के संगीत की प्रशंसा करते हुए यदुनाथ सरकार ने लिखा है कि “अनेक शुद्वात्मा,सूफी फ़क़ीर तथा संसार से सन्यास लेने वाले अनेक साधु, संत भी उसका गाना सुनकर सुध-बुध बिसार देते थे और परमानंद (परम् आंनद)  में लीन हो जाते थे।“

 शाहजहाँ चित्रकला का भी प्रेमी था। इसके समय मे मोहम्मद कादिर, आसफ खां,  अनूप,  चित्रा,  फ़कीरूउल्ला आदि उसके समय के प्रसिद्ध चित्रकार थे । स्मिथ महोदय का कहना है कि “शाहजहाँ के शासन काल मे चित्रकला चर्मोनन्ति को पहुँच गयी थी।”

स्थापत्य कला — स्वर्ण युग की सर्वोच्च उपलब्धि

 स्थापत्य कला की दृष्टि से शाहजहाँ का काल “स्वर्ण युग” माना जाता है। यद्यपि मुगल स्थापत्यकला का प्रारम्भ बाबर के काल से ही प्रारम्भ हो गया था। परन्तु शाहजहाँ द्वारा इस क्षेत्र में मत्त्वपूर्ण विकास किया गया। उसके द्वारा बनवाई गई इमारते कलात्मक एवं अलंकरण की दृष्टि से अतुलनीय है। इन इमारतों में ताजमहल शाहजहाँ की सर्वश्रेष्ठ अनुकृति है। जिसका निर्माण उसने अपनी प्रिय पत्नी मुमताज महल की स्मृति में करवाया था, जो संसार की सर्वश्रेष्ठ इमारतों में से एक है। इसके अतिरिक्त मयूर सिंहासन” भी उसकी अमूल्य कृति है। उसने दिल्ली में भव्य लाल किले का निर्माण करवाया। लाल किले के अंदर दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, बहुत प्रसिद्ध इमारते है। कुछ अन्य इमारते– शीशमहल, मुसम्मन बुर्ज, तथा मोती मस्जिद (आगरा के किले में), और जमा मस्जिद आदि इमारते अत्यंत गौरवमयी है।

निष्कर्ष

उपर्युक्त विवरणों के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते है कि शाहजहाँ का काल वास्तव में मुगल काल का “स्वर्ण युग” था। लेनपूल ने भी कहा है “शाहजहाँ अपनी उदारता के लिए प्रसिद्ध था और इसीलिए वह अपनी प्रजा का अत्यन्त प्रिय था।” शाहजहाँ के काल मे दरबार और अमीरों के वैभव के साथ-साथ जनता में भी सुख और समृद्धि थी। इसका प्रमुख कारण दीर्घकालीन शांति और सुशासन था। डॉ अर0 पी0 त्रिपाठी लिखते है कि “शाहजहाँ का काल समृद्धिपूर्ण था। तख्ते-ताऊस और रत्नों की चमक-दमक से विदेशी यात्री चकित रह जाते थे। ताजमहल, मोती मस्जिद, जामा मस्जिद, अली मस्जिद, शाहजहाँनाबाद का किला (लाल किला) आज भी मुगल सल्तनत की महानता तथा उसके शासन काल के गौरव को व्यक्त करते है।”

FAQ / PAQ (People Also Ask)

Q1. शाहजहाँ का शासन काल स्वर्ण युग क्यों कहलाता है?

उत्तर: शाहजहाँ के शासन को स्वर्ण युग   इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में मुगल साम्राज्य कला, संस्कृति, स्थापत्य, साहित्य, संगीत और व्यापार—सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता की ऊँचाइयों पर पहुँचा। राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक समृद्धि ने रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा दिया, जिसके परिणामस्वरूप इस अवधि में कला, साहित्य और परंपराओं ने ऐसी तरक्की की जिसे पहले कभी नहीं देखा गया था।

Q2. शाहजहाँ की प्रमुख स्थापत्य कृतियाँ कौन-सी हैं?

उत्तर: शाहजहाँ के समय में अनेक भव्य इमारतें निर्मित की गईं, जिनमें ताजमहल, लाल किला और जामा मस्जिद सबसे प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त मोती मस्जिद, शीशमहल, दीवान-ए-खास, और दिल्ली व आगरा में कई सुंदर इमारतें शाहजहाँ की सौंदर्यप्रियता और स्थापत्य कौशल का प्रमाण देती हैं।

Q3. शाहजहाँ का शासनकाल कब रहा?

उत्तर: शाहजहाँ ने लगभग तीस वर्षों तक मुगल साम्राज्य का नेतृत्व किया। उसका शासनकाल 1628 ई. से 1658 ई. तक माना जाता है, जिसे मुगल इतिहास का एक अत्यंत स्थिर और समृद्ध काल माना जाता है

Q4. शाहजहाँ साहित्य और संस्कृति का संरक्षक क्यों माना जाता है?

उत्तर: शाहजहाँ को साहित्य, संगीत और संस्कृति का संरक्षक इसलिए माना जाता है क्योंकि उसने अपने दरबार में विद्वानों, कवियों, इतिहासकारों और कलाकारों को विशेष सम्मान और संरक्षण प्रदान किया। उसके शासन में अनेक ग्रंथ लिखे गए, दरबारी कला को प्रोत्साहन मिला, और सांस्कृतिक वातावरण अधिक परिष्कृत हुआ।

Q5. शाहजहाँ को प्रजावत्सल शासक क्यों कहा जाता है?

उत्तर: शाहजहाँ को प्रजावत्सल इसलिए कहा जाता है क्योंकि कठिन परिस्थितियों—जैसे अकाल, बीमारी या प्राकृतिक संकट—के समय उसने जनता को राहत देने के उपाय किए। करों में छूट, सुरक्षा व्यवस्था का सुधार, और नागरिकों की भलाई के लिए किए गए प्रयास उसकी प्रजाभक्ति का प्रमाण हैं।

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